Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
6 Dec 2017 · 2 min read

हम और तुम

आवाज़…. मेरे मन की… ?

हम
बैठे रहते हैं दरवाजे पर
आस लगाए
हर एक आहट को सुनते हैं
बड़े गौर से
कि शायद
तुम आए…..
और तुम
आते हो और आकर
जाने कब चले जाते हो
दबे पांव
और हम
बैठे ही रह जाते हैं
आस लगाए…

हम अपने कामों में
मशगूल रहते हैं
और टकटकी लगाए
बस तुम्हें देखते हैं
कि शायद
तुम कुछ कहो..
पर तुम
अपने ख्यालों में मस्त
देखते ही कहां हो
कि कोई बैठा है तुम्हारे लिए
नयनों में हजारों
दिए जलाए….

जब पास होते हैं
वह पल कुछ खास होते हैं
उन पलों में हम तुम्हारा
इंतजार करते हैं
तुम कहते हो
बस उतना
जितना तुम चाहते हो
पर वह नहीं कहते
जो हम सुनना चाहते हैं
जो हमारे कानों में
इश्क घोल सके
खो जाते हो
अपने सपनों में
क्यों सोच भी नहीं पाते
कि और भी कोई बैठा है
अपनी पलकों में लाखों
सपने सजाए…..

और सुबह तो
जैसे तुम्हारे लिए
मुंहमांगी मुराद है
कि बस पीछा छूटा
अब तो कोई बहाना
नहीं होगा बनाना
शायद कुछ ऐसा ही खयाल
आता होगा तुम्हारे मन में
पलटकर नहीं देखते
कि क्या रह गया पीछे
अकेलेपन में
बस जाना है तुम्हें तो
क्या फर्क पड़ता है पीछे
कोई हंसे या
नीर बहाए….

अब भी
नहीं छोड़ा है हमने
उम्मीद का दामन
बस एक गुजारिश है
एक बार पढ़ लो
हमारा मन
एक बार तो जागो
मेरी आंखों में झांको
एक बार तो कोशिश करो
हृदय तक पहुंचने की
तुम दस्तक तो दो
खोल रखे हैं हर द्वार
तुम्हारे ही लिए..
आओ अब तो
ले लो आगोश में
भुला दो दुनिया के सारे गम
रोक लो बहने से
इन ‘मासूम’अश्कों को,
लेकर हाथों में हाथ
आँखों में आँखें डाले
आओ ना
संग बैठे दो पल
तुम और हम
और कुछ न बोलें
बस मुस्कुराए…

मुदिता रानी ‘मासूम’

Language: Hindi
388 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
मैं जिस तरह रहता हूं क्या वो भी रह लेगा
मैं जिस तरह रहता हूं क्या वो भी रह लेगा
Keshav kishor Kumar
बाल कविता: मछली
बाल कविता: मछली
Rajesh Kumar Arjun
चवपैया छंद , 30 मात्रा (मापनी मुक्त मात्रिक )
चवपैया छंद , 30 मात्रा (मापनी मुक्त मात्रिक )
Subhash Singhai
पहले क्या करना हमें,
पहले क्या करना हमें,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
"धन वालों मान यहाँ"
Arise DGRJ (Khaimsingh Saini)
कई जीत बाकी है कई हार बाकी है, अभी तो जिंदगी का सार बाकी है।
कई जीत बाकी है कई हार बाकी है, अभी तो जिंदगी का सार बाकी है।
Vipin Singh
ज़िंदगी इसमें
ज़िंदगी इसमें
Dr fauzia Naseem shad
कुछ नींदों से ख़्वाब उड़ जाते हैं
कुछ नींदों से ख़्वाब उड़ जाते हैं
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
नजरों को बचा लो जख्मों को छिपा लो,
नजरों को बचा लो जख्मों को छिपा लो,
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
जो चाकर हैं राम के
जो चाकर हैं राम के
महेश चन्द्र त्रिपाठी
वक्त से लड़कर अपनी तकदीर संवार रहा हूँ।
वक्त से लड़कर अपनी तकदीर संवार रहा हूँ।
सिद्धार्थ गोरखपुरी
न चाहिए
न चाहिए
Divya Mishra
Kitna hasin ittefak tha ,
Kitna hasin ittefak tha ,
Sakshi Tripathi
आरजू
आरजू
Kanchan Khanna
अनुसंधान
अनुसंधान
AJAY AMITABH SUMAN
द्वारिका गमन
द्वारिका गमन
Rekha Drolia
3105.*पूर्णिका*
3105.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
हिन्दी दोहा शब्द- फूल
हिन्दी दोहा शब्द- फूल
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
-शेखर सिंह ✍️
-शेखर सिंह ✍️
शेखर सिंह
भ्रम
भ्रम
Shyam Sundar Subramanian
🫴झन जाबे🫴
🫴झन जाबे🫴
सुरेश अजगल्ले 'इन्द्र '
" तुम से नज़र मिलीं "
Aarti sirsat
मरना बड़ी बात नही जीना बड़ी बात है....
मरना बड़ी बात नही जीना बड़ी बात है....
_सुलेखा.
Dr Arun Kumar shastri
Dr Arun Kumar shastri
DR ARUN KUMAR SHASTRI
मन होता है मेरा,
मन होता है मेरा,
Dr Tabassum Jahan
Thought
Thought
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
जागरूक हो हर इंसान
जागरूक हो हर इंसान
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
*मस्तियों का आ गया मौसम, हवा में प्यार है  (हिंदी गजल/गीतिका
*मस्तियों का आ गया मौसम, हवा में प्यार है (हिंदी गजल/गीतिका
Ravi Prakash
STAY SINGLE
STAY SINGLE
Saransh Singh 'Priyam'
"मुद्रा"
Dr. Kishan tandon kranti
Loading...