Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
18 Dec 2023 · 1 min read

द्वारिका गमन

कृष्ण ने कंस को वध किन्हा।
कृष्ण वध जरासंध प्रण लिन्हा।।
आठों याम एक ही विचारा।
यदुओं पर आक्रमण बारम्बारा।।

ले यवनी दल घेरो मथुरा द्वारा।
कृष्ण कर दियो रिपु संहारा।।
कान्हा ने अरि मथन किन्हा।
सेना से सब निधि धन छिन्हा।।

बटोर धन सब गठरी बनाई।
कहा चलो द्वारिका यदु भाई।।
धन बैलों पर कुछ काँधे लादा।
द्वारिका चल पड़े यदु नर मादा।।

तेही जरासंध अठारहवीं बारा।
तेईस अक्षौहिणी कियो प्रहारा।।
मनुष्य अवतार धरे थे साँई।
हुए भयभीत सौं लीला दिखाई।।

देख प्रखर सेना चढ़ि आई।
शीघ्र भाग उठे दोनों भाई।।
छोड़ दियो सम्पूर्ण धन आगे।
कोमल पंकज पद कोसों भागे।।

हँसो जरासंध काहे भागे जाते।
ठाड़ो कृष्ण करो कुछ बातें।।
रच सेना ले भूपति पीछे भागा।
कोसों दौड़ थक गए थे भ्राता।।

प्रवर्शण पर्वत छिपे कृष्ण बलरामा।
इंद्र जल बरसाते जहँ अविरामा।।
जब ढूँढ ढूँढ न मिल्हीं द्वि भाई।
गिरी चारों ओर पावक दियो लगाई।।

देखहीं धू धू जलत विशाल भूधर
धरा कूद पड़े गिरधर और सहोदर।।
चवालिस कोस शिखर ऊँचाई।
सेना से अलक्षित छलांग लगाई।।

गमन कियो द्वारिका द्वि भाई।
जो बसी रही समुद्र की खाई।।
दहन हुए दोनों एही माना।
जरासंध गमन कियो निज धामा।।

रेखांकन।रेखा

Language: Hindi
125 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
शब्द : एक
शब्द : एक
DR. Kaushal Kishor Shrivastava
"बेजुबान का दर्द"
Dr. Kishan tandon kranti
You never know when the prolixity of destiny can twirl your
You never know when the prolixity of destiny can twirl your
Sukoon
समय और स्त्री
समय और स्त्री
Madhavi Srivastava
*** बिंदु और परिधि....!!! ***
*** बिंदु और परिधि....!!! ***
VEDANTA PATEL
💐अज्ञात के प्रति-135💐
💐अज्ञात के प्रति-135💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
ख्वाबों ने अपना रास्ता बदल लिया है,
ख्वाबों ने अपना रास्ता बदल लिया है,
manjula chauhan
मर्चा धान को मिला जीआई टैग
मर्चा धान को मिला जीआई टैग
डा. सूर्यनारायण पाण्डेय
#शुभ_रात्रि
#शुभ_रात्रि
*Author प्रणय प्रभात*
खो गयी हर इक तरावट,
खो गयी हर इक तरावट,
Prashant mishra (प्रशान्त मिश्रा मन)
“परिंदे की अभिलाषा”
“परिंदे की अभिलाषा”
DrLakshman Jha Parimal
विरोध-रस की काव्य-कृति ‘वक्त के तेवर’ +रमेशराज
विरोध-रस की काव्य-कृति ‘वक्त के तेवर’ +रमेशराज
कवि रमेशराज
__________सुविचार_____________
__________सुविचार_____________
विनोद कृष्ण सक्सेना, पटवारी
प्रेम एक्सप्रेस
प्रेम एक्सप्रेस
Rahul Singh
रोशनी सूरज की कम क्यूँ हो रही है।
रोशनी सूरज की कम क्यूँ हो रही है।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
मात्र मौन
मात्र मौन
Dr.Pratibha Prakash
भूखे भेड़िये हैं वो,
भूखे भेड़िये हैं वो,
Maroof aalam
चलो सत्य की राह में,
चलो सत्य की राह में,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
मंजिलें
मंजिलें
Mukesh Kumar Sonkar
जाने वाले साल को सलाम ,
जाने वाले साल को सलाम ,
Dr. Man Mohan Krishna
3030.*पूर्णिका*
3030.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
इतना क्यों व्यस्त हो तुम
इतना क्यों व्यस्त हो तुम
Shiv kumar Barman
*गुरु (बाल कविता)*
*गुरु (बाल कविता)*
Ravi Prakash
इश्क़ का दस्तूर
इश्क़ का दस्तूर
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
दुआ के हाथ
दुआ के हाथ
Shekhar Chandra Mitra
!.........!
!.........!
शेखर सिंह
कभी सुलगता है, कभी उलझता  है
कभी सुलगता है, कभी उलझता है
Anil Mishra Prahari
मनमीत
मनमीत
लक्ष्मी सिंह
जो सबका हों जाए, वह हम नहीं
जो सबका हों जाए, वह हम नहीं
Chandra Kanta Shaw
मन सीत मीत दिलवाली
मन सीत मीत दिलवाली
Seema gupta,Alwar
Loading...