Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
5 Apr 2023 · 2 min read

मर्चा धान को मिला जीआई टैग

मर्चा धान को मिला जीआई टैग
—————————————
बिहार के पश्चिम चंपारण जिले में उगाए जाने वाले मर्चा धान को जीआई टैग मिलना सुखद है । इस धान से तैयार चूड़ा के स्वाद और उसमें मौजूद खास अरोमा की ख्याति सिर्फ बिहार में ही नहीं बल्कि देश और विदेश में भी है। चंपारण की यह ऊपज अपनी मनमोहक सुगंध के लिए जाना जाता है । यहाँ घर आए मेहमानों और मित्रों को दही के साथ मर्चा चूड़ा खिलाना इसकी ख्याति को प्रतिष्ठित करता है। काला नमक चावल के भात और मर्चा धान के चूड़े का कोई विकल्प नहीं है । मर्चा चूड़ा भारत सहित विदेश में भी अपनी एक अलग पहचान बना चुका है। मर्चा धान की खेती सावन के महीने में शुरू की जाती है और इसे नवंबर आखिरी तक तैयार लिया जाता है। इसकी पैदावार कम होती है । इसका चूड़ा बिंदी की तरह दिखता है । सफ़ेद और सुगंधित । इसे खाने के कई तरीक़े हैं । प्रायः इसे दही और चीनी के साथ मिलाकर खाया जाता है । ऊपर से भरुआ लाल मिर्च अचार या नमक व हरा मिर्च इसके स्वाद में चार चाँद लगा देता है । कुछ लोग इसे काले चने के छोले के साथ खाते हैं । गुड़ के साथ सूखा भी खा सकते हैं । चूड़ा पकौड़ी भी । कुछ लोग इसे नॉन वेज के साथ भी चापते हैं । सामान्य चूड़े से यह थोड़ा भारी होता है और अलग दिखता है । आप जैसे चाहें खायें, इसके स्वाद को भूल नहीं पायेंगे। मुझे बहुत पसंद है । यह मेरे ससुराल नरकटियागंज से पाँच किलो के झोले में पैक आ जाता है ।मेरे यहाँ अभी है । उसका फ़ोटो लगा रहा हूँ । मौक़ा लगे तो अपने देश की इस महक को एक बार ज़रूर महसूस करें।जो खाए हों , वह अपना अनुभव ज़रूर साझा करें ।
मर्चा धान की खेती में लगे हमारे प्यारे किसानों को बहुत बहुत बधाई । आशा है इससे उनके श्रम का उचित पारिश्रमिक प्राप्त होगा ।

@ सूर्यनारायण पाण्डेय

1 Like · 350 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from डा. सूर्यनारायण पाण्डेय
View all
You may also like:
गुज़रते वक्त ने
गुज़रते वक्त ने
Dr fauzia Naseem shad
नौ वर्ष(नव वर्ष)
नौ वर्ष(नव वर्ष)
Satish Srijan
शुभ रक्षाबंधन
शुभ रक्षाबंधन
डॉ.सीमा अग्रवाल
2687.*पूर्णिका*
2687.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
राजकुमारी
राजकुमारी
Johnny Ahmed 'क़ैस'
हब्स के बढ़ते हीं बारिश की दुआ माँगते हैं
हब्स के बढ़ते हीं बारिश की दुआ माँगते हैं
Shweta Soni
14- वसुधैव कुटुम्ब की, गरिमा बढाइये
14- वसुधैव कुटुम्ब की, गरिमा बढाइये
Ajay Kumar Vimal
अजब दुनियां के खेले हैं, ना तन्हा हैं ना मेले हैं।
अजब दुनियां के खेले हैं, ना तन्हा हैं ना मेले हैं।
umesh mehra
*श्रमिक मजदूर*
*श्रमिक मजदूर*
Shashi kala vyas
मत रो मां
मत रो मां
Shekhar Chandra Mitra
*योग शब्द का अर्थ ध्यान में, निराकार को पाना ( गीत)*
*योग शब्द का अर्थ ध्यान में, निराकार को पाना ( गीत)*
Ravi Prakash
खुद को इतना हंसाया है ना कि
खुद को इतना हंसाया है ना कि
Rekha khichi
सर्दी के हैं ये कुछ महीने
सर्दी के हैं ये कुछ महीने
Atul "Krishn"
यदि तुमने किसी लड़की से कहीं ज्यादा अपने लक्ष्य से प्यार किय
यदि तुमने किसी लड़की से कहीं ज्यादा अपने लक्ष्य से प्यार किय
Rj Anand Prajapati
💐प्रेम कौतुक-430💐
💐प्रेम कौतुक-430💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
रंग रंगीली होली आई
रंग रंगीली होली आई
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
मेरा जीवन बसर नहीं होता।
मेरा जीवन बसर नहीं होता।
सत्य कुमार प्रेमी
वो एक ही शख्स दिल से उतरता नहीं
वो एक ही शख्स दिल से उतरता नहीं
श्याम सिंह बिष्ट
आज उन असंख्य
आज उन असंख्य
*Author प्रणय प्रभात*
सार्थक मंथन
सार्थक मंथन
Shyam Sundar Subramanian
देना और पाना
देना और पाना
Sandeep Pande
उस देश के वासी है 🙏
उस देश के वासी है 🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
.*यादों के पन्ने.......
.*यादों के पन्ने.......
Naushaba Suriya
अक़्सर बूढ़े शज़र को परिंदे छोड़ जाते है
अक़्सर बूढ़े शज़र को परिंदे छोड़ जाते है
'अशांत' शेखर
मुझे भी बतला दो कोई जरा लकीरों को पढ़ने वालों
मुझे भी बतला दो कोई जरा लकीरों को पढ़ने वालों
VINOD CHAUHAN
मेरे उर के छाले।
मेरे उर के छाले।
Anil Mishra Prahari
सदियों से रस्सी रही,
सदियों से रस्सी रही,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
ग़ज़ल/नज़्म: सोचता हूँ कि आग की तरहाँ खबर फ़ैलाई जाए
ग़ज़ल/नज़्म: सोचता हूँ कि आग की तरहाँ खबर फ़ैलाई जाए
अनिल कुमार
"संवाद"
Dr. Kishan tandon kranti
ना चाहते हुए भी रोज,वहाँ जाना पड़ता है,
ना चाहते हुए भी रोज,वहाँ जाना पड़ता है,
Suraj kushwaha
Loading...