Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
21 Feb 2024 · 4 min read

हक हैं हमें भी कहने दो

हक़ हैं हमें भी कहने दो,
बेटी हूँ हमें भी शान से जीने दो।

हम भी करेंगे ऊँचा काम ,
मत रोको हमें ,
आगे बढ़ने दो,
बेटी हूँ हमें भी शान से जीने दो।

नारी शक्ति हूँ ,
अबला नहीं ,
सबला बनके रहने दो,
बेटी हूँ हमें भी शान से जीने दो।

कर सकती हूँ मैं भी ,
हर एक काम ,
घर की दीवारों में ,
कैद न रहने दो,
बेटी हूँ हमें भी शान से जीने दो।

कुछ लम्हा ही सही ,
हम बेटियों को ,
खुल कर जीने दो ,
सपनों को साकार करने दो,
बेटी हूँ हमें भी शान से जीने दो।

तकलीफ होती हैं हमें भी ,
अब सहन हद पार हुआ,
हाथ बढ़ाओ हमें पीछे न रहने दो ,
बेटी हूँ हमें भी शान से जीने दो।

गर बेटा हैं संसार ,
तो बेटी हैं दुनियाँ ,
न खुद करो अंतर ,
जमाने को अब भेदभाव न करने दो,
बेटी हूँ हमें भी शान से जीने दो।

तोहमतो का सफर कब होगा खत्म ,
जो कहते हैं बेटियो को ,
चौखट पार न करने दो,
बेटी हूँ हमें भी शान से जीने दो ।

यकीनन नमुहजजिब शख्स ही,
करते हैं अक्सर भेदभाव ,
समझदार की शख्सियत तो अब रहने दो ,
बेटी हूँ हमें भी शान से जीने दो ।

बेटी हूँ बेटियों के दर्द से वाकिफ हूँ ,
हम बेटियों को बेदर्द न कहने दो,
बेटी हूँ हमें भी शान से जीने दो ।

माजी,हाल,मुस्तकबिल हैं बेटियाँ ,
इन्हे सिर्फ नाम मात्र न रहने दो,
बेटी हूँ हमें भी शान से जीने दो।

हर दिन कहीँ न कही बेटियाँ,
प्रताड़ित होती हैं ,
आखिर क्यों इसी समाज से ,
आवाज़ आने दो,
बेटी हूँ हमें भी शान से जीने दो ।

आस पास के वातावरण में ,
बेटी की महिमा गायी जाती हैं ,
वही दूसरी ओर बेटी की,
आवाज दबाई जाती हैं ,
खामोश मत करो हमें ,
हमें भी वाचाल रहने दो ,
बेटी हूँ हमें भी शान से जीने दो।

बहुत हुआ तिरस्कार ,
मिले अब हमें पहचान ,
खुले आसमान में न सही ,
जमी पर ही हमें बने रहने दो ,
बेटी हूँ हमें भी शान से जीने दो।

घर में रोई नहीं ,
मकान में हँसी नहीं ,
यूँ घुटन में न मरने दो,
बेटी हूँ हमें भी शान से जीने दो ।

बन्दिशो में बँध कर,
रही ताउम्र बेटियाँ ,
अब बेटियों को,
जंजीर में न बंधने दो,
बेटी हूँ हमें भी शान से जीने दो ।

कुछ हम बेटियों का भी ,
हक और कर्तव्य हैं ,
अपने हक और कर्तव्य,
को भी अब पूरा करने दो,
बेटी हूँ हमें भी शान से जीने दो।

बेटा जाता अक्सर ,
एक शहर से दूसरे शहर ,
करता देश -विदेश का सफ़र,
हमें भी दुनिया देखने दो,
बेटी हूँ हमें भी शान से जीने दो।

मलाल नहीं हमें समाज से
बेटी, परी ,गुड़िया , शहजादी,
राजकुमारी, देवी ,नारी,
और नारायणीय हैं ,
इसे गुलाम न बनने दो,
दुर्व्यवहार का शिकार न होने दो,
बेटी हूँ हमें भी शान से जीने दो ।

मान सम्मान से ,
नज़र अँदाज न करो हमें ,
लाजवाब अँदाज मे रहने दो ,
बेटी हूँ हमें भी शान से जीने दो।

हम खुद एक ख़िताब हैं ,
बंद किताब न बनने दो ,
घरेलू हिंसा, असमानता,
लिंग भेद न होने दो ,
बेटी हूँ हमें भी शान से जीने दो।

जालिमों के जुल्म पर ,
हम भारी पड़ जाये ,
कुछ ऐसा जुनून खुद में रहने दो,
बेटी हूँ हमें भी शान से जीने दो।

अब कोई बेटी मुश्किलों में न पड़े ,
सारी बेटियों को एकजुट होकर,
संकल्प करने दो,
हमे बिटियाँ बन के जीने दो ,
बेटी हूँ हमें भी शान से जीने दो।

माँ दुर्गा, माँ काली, माँ आमिना, माँ फातिमा,
फिर क़्यो हम बेटियाँ लाचार,
सर्व शक्ति, भक्ति हैं हम,
खुद की शक्तियों को सलाम करने दो,
बेटी हूँ हमें भी शान से जीने दो।

दुनियाँ में आने से पहले,
और ताउम्र साजिशे करते हो,
हमें मिटाने की ,
विनती हैं वक्त से पहले ,
मिट्टी में हमें न मिलने दो,
बेटी हूँ हमें भी शान से जीने दो।

जीते जी मरने, मारने की खबरें फैलाते हो,
आखिर क्यों बेटी से इतना घबराते हो,
मासूमियत को सलाम न सही ,
सलामती से रहने दो,
बेटी हूँ हमें भी शान से जीने दो।

अब वक्त हैं ,
डट कर जीने के लिए ,
मत रोको हमें ,
गर आ जाएँ बात अस्तित्व पर ,
राक्षसों का वध करने दो,
बेटी हूँ हमें भी शान से जीने दो।

मेरे अल्फाज़ो को तराना मत समझो ,
बेटियों के दर्द मे उभरी ,
कलमकारी ही रहने दो ,
हमारी जय -जयकार न सही ,
चैन सुकून मे रहने दो ,
बेटी हूँ हमें भी शान से जीने दो।

जमी -आसमान, दिन- रात,
की दूरी जैसी ,
हो गयी हैं बेटी ,
फासला अब सिमटने दो,
बेटी हूँ हमें भी शान से जीने दो।

जितना आसान था,
उतना कठिन हो गया ,
अब समझना बेटी के जज़्बातो को,
अब मन की बात करने दो ,
बेटी हूँ हमें भी शान से जीने दो।

चारो ओर अँधेरा ,
बेटी के मुककदर में ,
अब उजाले की मशाल जलने दो ,
बेटी हूँ हमें भी शान से जीने दो।

माना कि मैं “शमा “हूँ ,
पर हूँ भारत देश की बेटी,
मुझे जलाओ नहीं ,
शिक्षा की रोशनी करने दो,
बेटी हूँ हमें भी शान से जीने दो।

🇮🇳जय हिंद जय भारत 🇮🇳

शमा परवीन बहराइच उत्तर प्रदेश

Language: Hindi
2 Likes · 161 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
डॉ ऋषि कुमार चतुर्वेदी (श्रद्धाँजलि लेख)
डॉ ऋषि कुमार चतुर्वेदी (श्रद्धाँजलि लेख)
Ravi Prakash
प्रेम का कोई रूप नहीं होता जब किसी की अनुभूति....
प्रेम का कोई रूप नहीं होता जब किसी की अनुभूति....
Ranjeet kumar patre
ईश्वर की अजीब लीला है...
ईश्वर की अजीब लीला है...
Umender kumar
सुनो, मैं जा रही हूं
सुनो, मैं जा रही हूं
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
आ मिल कर साथ चलते हैं....!
आ मिल कर साथ चलते हैं....!
VEDANTA PATEL
*शिक्षा*
*शिक्षा*
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
विचार
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
सबका अपना दाना - पानी.....!!
सबका अपना दाना - पानी.....!!
पंकज परिंदा
4198💐 *पूर्णिका* 💐
4198💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
प्रेम जब निर्मल होता है,
प्रेम जब निर्मल होता है,
हिमांशु Kulshrestha
Blabbering a few words like
Blabbering a few words like " live as you want", "pursue you
Chaahat
मीना
मीना
Shweta Soni
दोहे
दोहे
अशोक कुमार ढोरिया
प्रेम हमारा लक्ष्य होना चाहिए।
प्रेम हमारा लक्ष्य होना चाहिए।
Ravikesh Jha
कलयुग के बाजार में
कलयुग के बाजार में
gurudeenverma198
जिंदगी में रंजो गम बेशुमार है
जिंदगी में रंजो गम बेशुमार है
इंजी. संजय श्रीवास्तव
हम उस पीढ़ी के लोग है
हम उस पीढ़ी के लोग है
Indu Singh
Bundeli doha
Bundeli doha
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
"रात भर"
Dr. Kishan tandon kranti
संवेदना - अपनी ऑंखों से देखा है
संवेदना - अपनी ऑंखों से देखा है
डॉ नवीन जोशी 'नवल'
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Neelofar Khan
देश का वामपंथ
देश का वामपंथ
विजय कुमार अग्रवाल
मेरे अल्फाज याद रखना
मेरे अल्फाज याद रखना
VINOD CHAUHAN
“I will keep you ‘because I prayed for you.”
“I will keep you ‘because I prayed for you.”
पूर्वार्थ
सौगात   ...
सौगात ...
sushil sarna
खता खतों की नहीं थीं , लम्हों की थी ,
खता खतों की नहीं थीं , लम्हों की थी ,
Manju sagar
इतनी भी
इतनी भी
Santosh Shrivastava
गुमनाम राही
गुमनाम राही
AMRESH KUMAR VERMA
आपको याद भी
आपको याद भी
Dr fauzia Naseem shad
■ एक वीडियो के साथ तमाम लिंक।
■ एक वीडियो के साथ तमाम लिंक।
*प्रणय*
Loading...