हंसी
हंसी मानों होठों पर तैरती थी जैसे ही होठ हंसी से फैलते उसके कंधे उचकते और आंखे खिल जाती थी।कुछ साल पहले वो हर पल मुझे ढूंढतें थे स्वप्न में या यथार्थ में।व़क्त बदल गया है अब हर बात बेतरतीब-सी दिखती है पहले वो इंतज़ार करते थे अब ना मैं साथ हूं ना मेरा इंतज़ार।कभी आते हैं तो जनाब दो पल के लिए और मात्र औपचारिकता भर के लिए।