Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
17 Aug 2024 · 1 min read

” हँसिए “

” हँसिए ”
हँसिए, हँसिए और हँसिए
हँसने पर नहीं कोई पाबन्दी,
है ये ऐसा धन यारों
छाती ना कभी कोई मन्दी।

3 Likes · 3 Comments · 33 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Dr. Kishan tandon kranti
View all
You may also like:
प्रेम को जिसने
प्रेम को जिसने
Dr fauzia Naseem shad
लोककवि रामचरन गुप्त मनस्वी साहित्यकार +डॉ. अभिनेष शर्मा
लोककवि रामचरन गुप्त मनस्वी साहित्यकार +डॉ. अभिनेष शर्मा
कवि रमेशराज
बिगड़ता यहां परिवार देखिए........
बिगड़ता यहां परिवार देखिए........
SATPAL CHAUHAN
भूखे हैं कुछ लोग !
भूखे हैं कुछ लोग !
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
भारत की होगी दुनिया में, फिर से जय जय कार
भारत की होगी दुनिया में, फिर से जय जय कार
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
राजनीति की नई चौधराहट में घोसी में सभी सिर्फ़ पिछड़ों की बात
राजनीति की नई चौधराहट में घोसी में सभी सिर्फ़ पिछड़ों की बात
Anand Kumar
एक मशाल तो जलाओ यारों
एक मशाल तो जलाओ यारों
नेताम आर सी
कभी शांत कभी नटखट
कभी शांत कभी नटखट
Neelam Sharma
तुम में और हम में फर्क़ सिर्फ इतना है
तुम में और हम में फर्क़ सिर्फ इतना है
shabina. Naaz
" चाँद "
Dr. Kishan tandon kranti
3051.*पूर्णिका*
3051.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
मैं कहना भी चाहूं उनसे तो कह नहीं सकता
मैं कहना भी चाहूं उनसे तो कह नहीं सकता
Mr.Aksharjeet
हम तो अपनी बात कहेंगें
हम तो अपनी बात कहेंगें
अनिल कुमार निश्छल
उसकी आवाज़ हरेक वक्त सुनाई देगा...
उसकी आवाज़ हरेक वक्त सुनाई देगा...
दीपक झा रुद्रा
मेरी धड़कनों में
मेरी धड़कनों में
हिमांशु Kulshrestha
खुशियों का दौर गया , चाहतों का दौर गया
खुशियों का दौर गया , चाहतों का दौर गया
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
कुछ तो रम्ज़ है तेरी यादें ज़ेहन से नहीं जाती,
कुछ तो रम्ज़ है तेरी यादें ज़ेहन से नहीं जाती,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
नया नया अभी उजाला है।
नया नया अभी उजाला है।
Sachin Mishra
*सरकारी कार्यक्रम का पास (हास्य व्यंग्य)*
*सरकारी कार्यक्रम का पास (हास्य व्यंग्य)*
Ravi Prakash
उम्मीद अगर बहुत ज़्यादा होती है
उम्मीद अगर बहुत ज़्यादा होती है
Ajit Kumar "Karn"
तुम बिन जाएं कहां
तुम बिन जाएं कहां
Surinder blackpen
■ वक़्त बदल देता है रिश्तों की औक़ात।
■ वक़्त बदल देता है रिश्तों की औक़ात।
*प्रणय प्रभात*
एक हम हैं कि ख्वाहिशें,चाहतें
एक हम हैं कि ख्वाहिशें,चाहतें
VINOD CHAUHAN
चाहता हे उसे सारा जहान
चाहता हे उसे सारा जहान
Swami Ganganiya
मेहनत
मेहनत
Dr. Pradeep Kumar Sharma
राहें खुद हमसे सवाल करती हैं,
राहें खुद हमसे सवाल करती हैं,
Sunil Maheshwari
वक्त के आगे
वक्त के आगे
Sangeeta Beniwal
जन्मदिन विशेष : अशोक जयंती
जन्मदिन विशेष : अशोक जयंती
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
न दें जो साथ गर्दिश में, वह रहबर हो नहीं सकते।
न दें जो साथ गर्दिश में, वह रहबर हो नहीं सकते।
सत्य कुमार प्रेमी
ॐ
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
Loading...