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28 Apr 2024 · 1 min read

“दहेज”

“दहेज”
एक पेन या कंघी खोने से
सोचो कितना खलता है,
उस दिल पर क्या गुजरता होगा
जो अपनी लाड़ली विदा करता है।
चन्द रुपये औ’ सामान की खातिर
क्यूँ देते हो इतनी वेदना,
ओ मेरे ससुराल वालों
कहाँ गई तेरी मानवीय संवेदना?

1 Like · 1 Comment · 19 Views
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