Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
21 Apr 2023 · 1 min read

मेरी बात अलग

तेरे मेरी बात अलग।
अपनी वो मुलाकात अलग।

आँसू की जो दी है तूने
मुझ को वो ,सौगात अलग।

हम जो मिले ,एक दूजे से।
अपने वो हालात अलग।

बिछड़ के हमने, जो देखी है
रब की वो ,करामात अलग।

जो बरसी दोनो के नैनो से।
सुलगती वो बरसात अलग।

एक नही जो हो पाये।
तेरे मेरे वो ,ज्जबात अलग।
Surinder kaur

Language: Hindi
194 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Surinder blackpen
View all
You may also like:
मैं प्यार के सरोवर मे पतवार हो गया।
मैं प्यार के सरोवर मे पतवार हो गया।
Anil chobisa
"इच्छा"
Dr. Kishan tandon kranti
अंतिम क्षण में अपना सर्वश्रेष्ठ दें।
अंतिम क्षण में अपना सर्वश्रेष्ठ दें।
Bimal Rajak
हम अभी ज़िंदगी को
हम अभी ज़िंदगी को
Dr fauzia Naseem shad
बाल कविता: तोता
बाल कविता: तोता
Rajesh Kumar Arjun
गुलदस्ता नहीं
गुलदस्ता नहीं
Mahendra Narayan
हम तो कवि है
हम तो कवि है
नन्दलाल सुथार "राही"
पितृपक्ष
पितृपक्ष
Neeraj Agarwal
#शेर-
#शेर-
*Author प्रणय प्रभात*
सहमी -सहमी सी है नज़र तो नहीं
सहमी -सहमी सी है नज़र तो नहीं
Shweta Soni
मन राम हो जाना ( 2 of 25 )
मन राम हो जाना ( 2 of 25 )
Kshma Urmila
सावन बीत गया
सावन बीत गया
Suryakant Dwivedi
जाते-जाते भी नहीं, जाता फागुन माह
जाते-जाते भी नहीं, जाता फागुन माह
Ravi Prakash
1
1
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
मन की कामना
मन की कामना
Basant Bhagawan Roy
मेरा सुकून
मेरा सुकून
Umesh Kumar Sharma
मौन में भी शोर है।
मौन में भी शोर है।
लक्ष्मी सिंह
सफ़र आसान हो जाए मिले दोस्त ज़बर कोई
सफ़र आसान हो जाए मिले दोस्त ज़बर कोई
आर.एस. 'प्रीतम'
वैसे थका हुआ खुद है इंसान
वैसे थका हुआ खुद है इंसान
शेखर सिंह
21 उम्र ढ़ल गई
21 उम्र ढ़ल गई
Dr Shweta sood
आत्म  चिंतन करो दोस्तों,देश का नेता अच्छा हो
आत्म चिंतन करो दोस्तों,देश का नेता अच्छा हो
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
पतझड़ की कैद में हूं जरा मौसम बदलने दो
पतझड़ की कैद में हूं जरा मौसम बदलने दो
Ram Krishan Rastogi
जीवन भी एक विदाई है,
जीवन भी एक विदाई है,
अभिषेक पाण्डेय 'अभि ’
इंसान दुनिया जमाने से भले झूठ कहे
इंसान दुनिया जमाने से भले झूठ कहे
ruby kumari
हे देश मेरे
हे देश मेरे
Satish Srijan
सपना है आँखों में मगर नीद कही और है
सपना है आँखों में मगर नीद कही और है
Rituraj shivem verma
गांधीजी का भारत
गांधीजी का भारत
विजय कुमार अग्रवाल
कुछ समझ में ही नहीं आता कि मैं अब क्या करूँ ।
कुछ समझ में ही नहीं आता कि मैं अब क्या करूँ ।
Neelam Sharma
सुखम् दुखम
सुखम् दुखम
DR ARUN KUMAR SHASTRI
आपस में अब द्वंद है, मिलते नहीं स्वभाव।
आपस में अब द्वंद है, मिलते नहीं स्वभाव।
Manoj Mahato
Loading...