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22 Feb 2024 · 1 min read

स्वस्थ समाज

उठ जाओ मेरे लाल नींद से सारे बच्चे जाग गए,
भोर भई है हवा सुहानी तारे सारे भाग गए।

रात का राजा चंद छुप गया, दिन का सूरज जागा है,
सैर-सपाटे को चलना है, तिमिर रात का भागा है।

शुद्ध हवा से सेहत बनती, मस्तक उज्जवल बनता है,
जो आलस में सोता रहे, तन उसका निर्बल बनता है।

जब सैर-सपाटा कर ही लिया, तो कुछ व्यायाम जरूरी है,
शोच दन्त क्रिया करके अब स्नान की बारी है।

स्वस्थ शरीर हमें रखना है, आओ थोड़ा खा पी लो,
साफ सफाई से तैयारी, स्कूल चलो, बस्ता ले लो।

परहेज रखो गन्दी चीजेों से, वरना तुम बीमार पडो,
ताजा खाना भरे विटामिन, मीठे फल रसदार चखो।

दूध दही की उचित मात्रा, नित समय से लेते रहो,
स्वभाविक कर्मों को नित कर, नींद रात में लेते रहो।

समय पर सोना समय पर उठाना, नियम हमारा बन जाए,
छुटपुट बीमारी दूर भगे, हृष्ट पुष्ट मन बन जाए।

तन स्वस्थ तो मन भी सुंदर, उच्च विचार प्रबल होगा,
उन्नत सब परिवार बनेगा, नहीं समाज निर्बल होगा।

सुघड़ समाज ही बने इकाई, इक सूत्र देश बन जाता है,
प्रगति क्रांति हर और पनपती, वही देश “स्वर्ग” कहलाता है ।।

Language: Hindi
70 Views

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