Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
2 May 2024 · 1 min read

स्कूल बैग

स्कूल बैग
————
जाने अनजाने में बचपन पीछे छोड़ आया
पता आज चला, स्कूल बैग जब सामने आया।।1।।

जुड़ी हुई हजारों यादों से भरा था वो बैग
ले जाते थे हररोज उसमे करके सपने कैद।।2।।

पटिया पेंसिल के साथ होती रहती थी गुफ्तगू
सिरहाने रख के सोते उसको करने जुस्तजू।।3।।

दिल हमारा कभी बहलता रंगबिरंगी खड़िया से
पीठ पर लादे बैग को, पीछे पड़ते चिड़िया से।।4।।

एक दो किताबों का, तो ही उतना बोझ था
कितने पन्ने गायब होते,फिर भी कभी अफसोस न था।।5।।

डिब्बे में मिलते पराठे और आचार सबके
बड़े ही चाव से खाते मिल बाट के उसको।।6।।

प्रश्न हमे मिलते लिख के पटिया पे सुलझाने को
अक्षर मिट जाते घर तक आते हमे उलझाने को।।7।।

चिंता हमे कभी न सताती क्या होगा कल की तारीख को
तैयार रहते हमेशा से मास्टरजी की मार खाने को।।8।।

झगड़े होते दोस्तों में, पहले बैग ही काम आता
फेंक के मारते बैग उसको, अपना काम चल जाता।।9।।

टूट जाती पटिया और फट जाती किताबे
ढूंढने पड़ते हमे, बचने के सैकड़ों बहाने।।10।।

रक्खे हुए हैं आज भी उस बैग के अंदर
पीपल के जालीदार पत्ते, मयूरपंख,
रंगबिरंगी खड़िया, रंगबिरंगी पत्थर ।।11।।

सालों बाद हाथ में आया वही बैग सामने को
ताजा हुईं बचपन की यादें फिरसे बचपन दिलाने को।।12।।

मंदार गांगल “मानस”

Language: Hindi
1 Like · 16 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
त्राहि त्राहि
त्राहि त्राहि
Dr.Pratibha Prakash
"" *ईश्वर* ""
सुनीलानंद महंत
बेवफाई मुझसे करके तुम
बेवफाई मुझसे करके तुम
gurudeenverma198
ख्वाइश है …पार्ट -१
ख्वाइश है …पार्ट -१
Vivek Mishra
#शेर
#शेर
*प्रणय प्रभात*
@ranjeetkrshukla
@ranjeetkrshukla
Ranjeet Kumar Shukla
कंचन कर दो काया मेरी , हे नटनागर हे गिरधारी
कंचन कर दो काया मेरी , हे नटनागर हे गिरधारी
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
"किताबें"
Dr. Kishan tandon kranti
--जो फेमस होता है, वो रूखसत हो जाता है --
--जो फेमस होता है, वो रूखसत हो जाता है --
गायक - लेखक अजीत कुमार तलवार
कल को छोड़कर
कल को छोड़कर
Meera Thakur
छत्तीसगढ़ी हाइकु
छत्तीसगढ़ी हाइकु
Dr. Pradeep Kumar Sharma
माना जिंदगी चलने का नाम है
माना जिंदगी चलने का नाम है
Dheerja Sharma
आज की शाम।
आज की शाम।
Dr. Jitendra Kumar
एक
एक
हिमांशु Kulshrestha
कांतिमय यौवन की छाया
कांतिमय यौवन की छाया
Mrs PUSHPA SHARMA {पुष्पा शर्मा अपराजिता}
हिन्दी पर नाज है !
हिन्दी पर नाज है !
Om Prakash Nautiyal
गांव की याद
गांव की याद
Punam Pande
बचपन याद किसे ना आती ?
बचपन याद किसे ना आती ?
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
दर्द अपना है
दर्द अपना है
Dr fauzia Naseem shad
आओ करें हम अर्चन वंदन वीरों के बलिदान को
आओ करें हम अर्चन वंदन वीरों के बलिदान को
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
एक मुक्तक
एक मुक्तक
सतीश तिवारी 'सरस'
बारम्बार प्रणाम
बारम्बार प्रणाम
Pratibha Pandey
माँ सरस्वती-वंदना
माँ सरस्वती-वंदना
Kanchan Khanna
محبّت عام کرتا ہوں
محبّت عام کرتا ہوں
अरशद रसूल बदायूंनी
अखंड भारत कब तक?
अखंड भारत कब तक?
जय लगन कुमार हैप्पी
सही पंथ पर चले जो
सही पंथ पर चले जो
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
संपूर्ण कर्म प्रकृति के गुणों के द्वारा किये जाते हैं तथापि
संपूर्ण कर्म प्रकृति के गुणों के द्वारा किये जाते हैं तथापि
Raju Gajbhiye
पुनीत /लीला (गोपी) / गुपाल छंद (सउदाहरण)
पुनीत /लीला (गोपी) / गुपाल छंद (सउदाहरण)
Subhash Singhai
The unknown road.
The unknown road.
Manisha Manjari
यह जो तुम कानो मे खिचड़ी पकाते हो,
यह जो तुम कानो मे खिचड़ी पकाते हो,
Ashwini sharma
Loading...