Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
27 Apr 2024 · 1 min read

“सोचता हूँ”

“सोचता हूँ”
मैं सोचता हूँ कई बार
आगरा के ताजमहल
गिरौदपुरी के जैतखाम
चुरू के तापमान
जैसे कोई तो रिकार्ड रहे
छ.ग. में मस्तूरी के पास भी,
कि नाम रहे इसका
वर्षों गुजर जाने के बाद भी।

1 Like · 1 Comment · 19 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Dr. Kishan tandon kranti
View all
You may also like:
तू मुझे क्या समझेगा
तू मुझे क्या समझेगा
Arti Bhadauria
प्राण-प्रतिष्ठा(अयोध्या राम मन्दिर)
प्राण-प्रतिष्ठा(अयोध्या राम मन्दिर)
लक्ष्मी सिंह
सद्विचार
सद्विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
मैं हू बेटा तेरा तूही माँ है मेरी
मैं हू बेटा तेरा तूही माँ है मेरी
Basant Bhagawan Roy
2804. *पूर्णिका*
2804. *पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
दिल हो काबू में....😂
दिल हो काबू में....😂
Jitendra Chhonkar
*भले कितनी हो लंबी रात,दिन फिर भी निकलता है 【मुक्तक】*
*भले कितनी हो लंबी रात,दिन फिर भी निकलता है 【मुक्तक】*
Ravi Prakash
Jay prakash dewangan
Jay prakash dewangan
Jay Dewangan
दोहा
दोहा
दुष्यन्त 'बाबा'
तुम्हे तो अभी घर का रिवाज भी तो निभाना है
तुम्हे तो अभी घर का रिवाज भी तो निभाना है
शेखर सिंह
वहाॅं कभी मत जाईये
वहाॅं कभी मत जाईये
Paras Nath Jha
■ मानवता से दानवता की ओर जाना काहे का विकास?₹
■ मानवता से दानवता की ओर जाना काहे का विकास?₹
*Author प्रणय प्रभात*
आग लगाते लोग
आग लगाते लोग
DR. Kaushal Kishor Shrivastava
क्यूँ ख़ामोशी पसरी है
क्यूँ ख़ामोशी पसरी है
हिमांशु Kulshrestha
आदम का आदमी
आदम का आदमी
आनन्द मिश्र
होली का त्यौहार
होली का त्यौहार
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
सरस्वती माँ ज्ञान का, सबको देना दान ।
सरस्वती माँ ज्ञान का, सबको देना दान ।
जगदीश शर्मा सहज
इतनी उदासी और न पक्षियों का घनेरा
इतनी उदासी और न पक्षियों का घनेरा
Charu Mitra
खोज करो तुम मन के अंदर
खोज करो तुम मन के अंदर
Buddha Prakash
Dead 🌹
Dead 🌹
Sampada
वेदना की संवेदना
वेदना की संवेदना
Mrs PUSHPA SHARMA {पुष्पा शर्मा अपराजिता}
मुस्कान
मुस्कान
Surya Barman
सजि गेल अयोध्या धाम
सजि गेल अयोध्या धाम
मनोज कर्ण
घर के मसले | Ghar Ke Masle | मुक्तक
घर के मसले | Ghar Ke Masle | मुक्तक
Damodar Virmal | दामोदर विरमाल
वो तुम्हें! खूब निहारता होगा ?
वो तुम्हें! खूब निहारता होगा ?
The_dk_poetry
सौ सदियाँ
सौ सदियाँ
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
गुम है
गुम है
Punam Pande
वो हर खेल को शतरंज की तरह खेलते हैं,
वो हर खेल को शतरंज की तरह खेलते हैं,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
17)”माँ”
17)”माँ”
Sapna Arora
भोले नाथ तेरी सदा ही जय
भोले नाथ तेरी सदा ही जय
नेताम आर सी
Loading...