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7 Mar 2023 · 1 min read

*भले कितनी हो लंबी रात,दिन फिर भी निकलता है 【मुक्तक】*

भले कितनी हो लंबी रात,दिन फिर भी निकलता है 【मुक्तक】
■■■■■■■■■■■■■■■■■■
विजय खरगोश पर मिलती है, कछुए को जो चलता है
उसे किसने हराया है, जो संघर्षों में पलता है
निरंतर धैर्य से दुनिया के, हर संग्राम में जूझो
भले कितनी हो लंबी रात, दिन फिर भी निकलता है
■■■■■■■■■■■■■■■■■■■
रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तर प्रदेश )
मोबाइल 99976 15451

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