सृष्टि का कण – कण शिवमय है।
श्वांस भी शिव है।
शाश्वत सारभूत भी शिव है।
अखंडता भी शिव है।
प्रखंडता भी शिव है।
ध्यान भी शिव है।
ज्ञान भी शिव है।
चारो धाम का नाम भी शिव है।
त्रिकालदर्शी, अविनाशी भी शिव है।
समाधि भी शिव है।
चंचलता भी शिव है।
संहारक भी शिव है।
स्वंभू भी शिव है।
अमृत भी शिव है।
नीलकंठ ( जहर ) भी शिव है।
समुद्र मंथन भी शिव है।
धरा सौंदर्य भी शिव है।
विनम्रता भी शिव है।
सौम्यता भी शिव है।
सनातन भी शिव है।
मोक्ष भी शिव है।
रुद्र भी शिव है।
भोला भी शिव है।
सृष्टि को नींव भी शिव है।
चंद्रशेखर भी शिव है।
गंगा प्रेक्षक भी शिव है।
कैलास भी शिव है।
कालों के काल महाकाल भी शिव है।
हिंदुत्व की धुरी शिव है।
है जीव में जीवन शिव है।
मृत्यु भी शिव है।
रक्षक भी शिव है।
भक्षक भी शिव है।
शुरुआत भी शिव है।
अंत भी शिव है।
साधुता भी शिव है।
दयालुता भी शिव है।
भारत पूरा शिवमय शिव है।
ज्योतिर्मय, द्वादश ज्योतिर्लिंग शिव है।
श्रावण शिव है।
महाशिवरात्रि शिव है।
नागपंचमी शिव है।
सोमवार शिव है।
मन मस्तिष्क शिव है।
लक्ष्य शिव है।
भूत भी शिव है।
वर्तमान भी शिव है।
भविष्य भी शिव है।
विनाश भी शिव है।
विकास भी शिव है।
ब्रह्माण्ड भी शिव है।
सकल अंड पिंड भी शिव है।
नटराज भी शिव है।
तांडव भी शिव है।
शास्त्रीय गायन भी शिव है।
नंदी भी शिव है।
हनुमान भी शिव है।
राम भी शिव है।
ब्रह्मा भी शिव है।
परलोक भी शिव है।
इह्लोक भी शिव है।
मंत्र भी शिव है।
मंत्रणा भी शिव है।
तंत्र भी शिव है।
भूत पिशाच देव भी शिव है।
इस धरती इक कोना – कोना कण- कण शिव है।
RJ Anand Prajapati