सीता की खोज
सीता की सत खोज में,चले वीर हनुमान।
शक्ति पुंज के साथ ही,अतिशय जो विद्वान।।
राम नाम को ध्यान कर, पहुँचे सागर पार।
विप्र रूप में वह गए, दैत्य विभीषण द्वार।।
तुलसी थी आँगन सजी,साफ शुद्ध था धाम।
लख हर्षित हनुमान बहु, अंतस किया प्रणाम।।
जगा विभीषण नींद से,लेकर राम का नाम।
सोचे तब हनुमान उर,उचित मिला यह धाम।।
दर्श विभीषण को दिया,करके उचित प्रणाम।
मित्र विभीषण दो मदद, सुफलित हो मम काम।।
सीता की सत खोज में,लंका आया आज।
माता सीता हैं कहाँ,बतलाओ कुछ राज।।
ओम प्रकाश श्रीवास्तव ओम