सीखता ही रह जाता है
जरा आहिस्ता चल कही अपने न दूर हो जाऐ
तेरे सफलता की मीनार बन न जाए इतनी ऊंची
कि अपने भी उसके साए में जाने से घबराए
तेरे कदमों की उड़ान ऐसी हो हर एक चकाचौंध हो जाए
तू गढ़े नित नयी ऊचांईया, अंबर सा कद हो तेरा
तेज रहे सूरज सा पर शीतलता हो चांद सा तेरा
कदम कदम शिखर चले हर गौरव पर नाम हो तेरा
अंबर बौना हो जाये, सागर सी गहराई हो
पद चिन्हों को भूल न जाना, संघर्ष तेरी कहानी हो
मानवता का मूल बनाए रखना,संवेदनाओं को भूल न जाना
सरल ,सहज जो रहता है, इतिहास सदा गढ़ता है वही
जीवन सरल जो रखता है उसकी कहानी देश समाज भी कहता है
अभिमान में जो चूर हुआ, मद मस्ती से भरपूर हुआ
वो जीवन सीख नहीं बन पाता है केवल सीखता ही रह जाता है
केवल सीखता ही रह जाता है, सीखता ही रह जाता है