Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
22 Feb 2024 · 1 min read

ज्ञानी

मैं ही हूँ ‘ब्रह्म’
अष्ट प्रकृतियों का धारक
पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु, आकाश
और मन, बुद्धि तथा अहंकार
यही तो हैं
मेरी अष्ट प्रकृतियाँ
यही तो है
‘अपरा’
‘परा’ प्रकृति भी मेरी ही है
मैं ही हूँ-
सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति
और ‘प्रलय’ का कारण.
कौन है मुझसे श्रेष्ठ ?
कोई भी तो नहीं
सब निहित है मुझमें
सभी भाव
सात्विक, राजस, तामस
मुझसे ही उत्पन्न हैं
मूढ, नराधम, माया से ग्रसित
आसुरी प्रकृति का आश्रय लिए
कहाँ आ पाते मेरी शरण में
ब्रह्म के निकट.
वह ‘ज्ञानी’ ही है
जो याद करता है
ब्रह्म को सदैव
दोनों एक दूसरे में समाहित हैं
ब्रह्म की आत्मा है ‘ज्ञानी’
आश्रित है ब्रह्म का
ज्ञाता है ब्रह्म का
सम्पूर्ण अध्यात्म का
और समस्त कर्मों का भी.

Language: Hindi
1 Like · 36 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from डा. सूर्यनारायण पाण्डेय
View all
You may also like:
*ऐसा स्वदेश है मेरा*
*ऐसा स्वदेश है मेरा*
Harminder Kaur
भारत शांति के लिए
भारत शांति के लिए
नेताम आर सी
कौर दो कौर की भूख थी
कौर दो कौर की भूख थी
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
हवा चली है ज़ोर-ज़ोर से
हवा चली है ज़ोर-ज़ोर से
Vedha Singh
"तब पता चलेगा"
Dr. Kishan tandon kranti
जब कभी मन हारकर के,या व्यथित हो टूट जाए
जब कभी मन हारकर के,या व्यथित हो टूट जाए
Yogini kajol Pathak
कब गुज़रा वो लड़कपन,
कब गुज़रा वो लड़कपन,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
मोक्ष पाने के लिए नौकरी जरुरी
मोक्ष पाने के लिए नौकरी जरुरी
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
हर बार सफलता नहीं मिलती, कभी हार भी होती है
हर बार सफलता नहीं मिलती, कभी हार भी होती है
पूर्वार्थ
संवेदना
संवेदना
Shama Parveen
तारीख़ के बनने तक
तारीख़ के बनने तक
Dr fauzia Naseem shad
गुलाल का रंग, गुब्बारों की मार,
गुलाल का रंग, गुब्बारों की मार,
Ranjeet kumar patre
विचार
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
तारीफों में इतने मगरूर हो गए थे
तारीफों में इतने मगरूर हो गए थे
कवि दीपक बवेजा
*माँ कटार-संग लाई हैं* *(घनाक्षरी : सिंह विलोकित छंद )*
*माँ कटार-संग लाई हैं* *(घनाक्षरी : सिंह विलोकित छंद )*
Ravi Prakash
ग़ज़ल
ग़ज़ल
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
याद आयेगा हमें .....ग़ज़ल
याद आयेगा हमें .....ग़ज़ल
sushil sarna
दोहावली...(११)
दोहावली...(११)
डॉ.सीमा अग्रवाल
Lamhon ki ek kitab hain jindagi ,sanso aur khayalo ka hisab
Lamhon ki ek kitab hain jindagi ,sanso aur khayalo ka hisab
Sampada
बचा ले मुझे🙏🙏
बचा ले मुझे🙏🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
💐💞💐
💐💞💐
शेखर सिंह
■ रंग (वर्ण) भेद एक अपराध।
■ रंग (वर्ण) भेद एक अपराध।
*Author प्रणय प्रभात*
स्वाल तुम्हारे-जवाब हमारे
स्वाल तुम्हारे-जवाब हमारे
Ravi Ghayal
*तेरे साथ जीवन*
*तेरे साथ जीवन*
AVINASH (Avi...) MEHRA
पुस्तक समीक्षा- धूप के कतरे (ग़ज़ल संग्रह डॉ घनश्याम परिश्रमी नेपाल)
पुस्तक समीक्षा- धूप के कतरे (ग़ज़ल संग्रह डॉ घनश्याम परिश्रमी नेपाल)
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
पापा
पापा
Kanchan Khanna
*और ऊपर उठती गयी.......मेरी माँ*
*और ऊपर उठती गयी.......मेरी माँ*
Poonam Matia
बहू हो या बेटी ,
बहू हो या बेटी ,
ओनिका सेतिया 'अनु '
सर्वनाम के भेद
सर्वनाम के भेद
Neelam Sharma
कुछ बात थी
कुछ बात थी
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
Loading...