Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
27 Jan 2024 · 1 min read

” सपनों में एक राजकुमार आता था “

अंजान थे जब जिंदगी के इम्तिहां से ,
लेकिन सपनों में एक राजकुमार आता था ।
ज्यादा काम – धाम करना नहीं सीखा ,
बस सतरंगी सपने सजाना आता था ।

वक्त बदला उम्र बदली पसंद बदली ,
लेकिन सपनों में एक राजकुमार आता था ।
मनमोहक लोगों के बीच मन को मजबूत बना कर ,
बस मेरे राजकुमार के लिए मन सुर गुनगुना आता था ।

सैकड़ों की भीड़ में टकराए एक से ,
लेकिन सपनों में एक राजकुमार आता था ।
ना जाने कब मन लगा बैठे उससे ,
अब तो मन सिर्फ उसकी बात दोहराता था ।

कुछ वक्त बीता कुछ लम्हें बीते ,
लेकिन सपनों में एक राजकुमार आता था ।
कुदरत का कहर था या हमारी नासमझी का जहर ,
अब उसकी हर बात पर सिर्फ गुस्सा आता था ।

मासूमियत ने आक्रोश का रूप लिया ,
लेकिन सपनों में एक राजकुमार आता था ।
वो सपना सपना ही रह गया ,
अब सपने देखने के लिए आंखों में नींद नहीं आता था ।

नींद खुली सूरज की रोशनी आंखों में पड़ी ,
लेकिन सपनों में एक राजकुमार आता था ।
आंसुओ ने मुंह धो दिया ,
राजकुमार ना आए !
अब जिंदगी का ताना बाना थोड़ा समझ आता है ।

ज्योति
नई दिल्ली

Language: Hindi
1 Like · 83 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from ज्योति
View all
You may also like:
मेरी प्यारी अभिसारी हिंदी......!
मेरी प्यारी अभिसारी हिंदी......!
Neelam Sharma
सुविचार
सुविचार
Dr MusafiR BaithA
जब नयनों में उत्थान के प्रकाश की छटा साफ दर्शनीय हो, तो व्यर
जब नयनों में उत्थान के प्रकाश की छटा साफ दर्शनीय हो, तो व्यर
Sukoon
میرے اس دل میں ۔
میرے اس دل میں ۔
Dr fauzia Naseem shad
जी.आज़ाद मुसाफिर भाई
जी.आज़ाद मुसाफिर भाई
gurudeenverma198
वो काजल से धार लगाती है अपने नैनों की कटारों को ,,
वो काजल से धार लगाती है अपने नैनों की कटारों को ,,
Vishal babu (vishu)
चर्बी लगे कारतूसों के कारण नहीं हुई 1857 की क्रान्ति
चर्बी लगे कारतूसों के कारण नहीं हुई 1857 की क्रान्ति
कवि रमेशराज
वीर वैभव श्रृंगार हिमालय🏔️☁️🌄🌥️
वीर वैभव श्रृंगार हिमालय🏔️☁️🌄🌥️
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
तेरे संग मैंने
तेरे संग मैंने
लक्ष्मी सिंह
बाल कहानी- अधूरा सपना
बाल कहानी- अधूरा सपना
SHAMA PARVEEN
" मानस मायूस "
Dr Meenu Poonia
बाधा को 'चल हट' कहता है,
बाधा को 'चल हट' कहता है,
Satish Srijan
जो ज़िम्मेदारियों से बंधे होते हैं
जो ज़िम्मेदारियों से बंधे होते हैं
Paras Nath Jha
आहट
आहट
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
23/184.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/184.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
*जो अपना छोड़‌कर सब-कुछ, चली ससुराल जाती हैं (हिंदी गजल/गीतिका)*
*जो अपना छोड़‌कर सब-कुछ, चली ससुराल जाती हैं (हिंदी गजल/गीतिका)*
Ravi Prakash
122 122 122 12
122 122 122 12
SZUBAIR KHAN KHAN
#दोहा
#दोहा
*Author प्रणय प्रभात*
ये मन तुझसे गुजारिश है, मत कर किसी को याद इतना
ये मन तुझसे गुजारिश है, मत कर किसी को याद इतना
$úDhÁ MãÚ₹Yá
वफादारी का ईनाम
वफादारी का ईनाम
Shekhar Chandra Mitra
बिन फ़न के, फ़नकार भी मिले और वे मौके पर डँसते मिले
बिन फ़न के, फ़नकार भी मिले और वे मौके पर डँसते मिले
Anand Kumar
इश्क की कीमत
इश्क की कीमत
Mangilal 713
नैन
नैन
TARAN VERMA
भरत मिलाप
भरत मिलाप
अटल मुरादाबादी, ओज व व्यंग कवि
रामजी कर देना उपकार
रामजी कर देना उपकार
Seema gupta,Alwar
एक सच और सोच
एक सच और सोच
Neeraj Agarwal
मनमीत मेरे तुम हो
मनमीत मेरे तुम हो
ठाकुर प्रतापसिंह "राणाजी"
बस अणु भर मैं
बस अणु भर मैं
Atul "Krishn"
खैरात में मिली
खैरात में मिली
हिमांशु Kulshrestha
దీపావళి కాంతులు..
దీపావళి కాంతులు..
डॉ गुंडाल विजय कुमार 'विजय'
Loading...