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2 May 2024 · 1 min read

मेरी प्यारी अभिसारी हिंदी……!

मस्तक गर्व ज्ञान की बिंदी।
जन जन की मधु वाणी हिंदी।
सुरभित,सुमनित,सुस्मित बनकर,
युवाओं के मरुस्थली मन पर,
श्यामल बदली बन बरसेगी।

मस्तक गर्व ज्ञान की बिंदी।
जन जन की मधु वाणी हिंदी।
धवल फूल की पंखुड़ियों पर,
नवल वृक्ष की हरित छटा पर,
ओस बिंदु बन कर छलकेगी।

मस्तक गर्व ज्ञान की बिंदी।
जन जन की मधु वाणी हिंदी।
मूक हृदय के स्पन्दन बनकर
काव्यांचल की बहर लहर पर
शुभ्र ज्योत्सना सी थिरकेगी।

मस्तक गर्व ज्ञान की बिंदी।
जन जन की मधु वाणी हिंदी।
हिंदी के प्रति सौतेलेपन पर
स्नेहसिक्त,सजल नैनों से
आँसू बन कर के ढलकेगी।

मस्तक गर्व ज्ञान की बिंदी।
जन जन की मधु वाणी हिंदी।
हिंदी अब आकाश बनी है,
अन्तरिक्ष में उल्का बन कर
टूट टूट कर भी चमकेगी।

मस्तक गर्व ज्ञान की बिंदी।
जन जन की मधु वाणी हिंदी।
विश्व सिंधु की अविरल लहरों पर
पाश्चात्य की पाषाणी छाती से
नीलम गंगा बन कर निकलेगी।
नीलम शर्मा ✍️

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