साहित्य के बुता
एक सौ दू बछर जियइया
मोर बुढ़वा बबा ह कहय,
साहित्य रचे के बुता ह संगी
फुटानी मारे बर नोहय।
साहित्य के सब ले बड़े बुता
जगावब अउ चेतावब आय,
देस दुनिया समाज मनखे ल
रद्दा बतावब- देखावब आय।
जय होय बुढ़वा बबा के…।
डॉ. किशन टण्डन क्रान्ति
साहित्य वाचस्पति
हरफनमौला साहित्य लेखक।