“साहित्यिक विधा की महिमा”
” साहित्यिक विधा की महिमा”
•••••••••••••••••••••••••••••••
किसी पर ‘कविता’ का असर है ,
किसी पर असर है ‘कहानी’ का।
कहीं, किसी ‘छंद’ का असर है;
तो कहीं, असर अंतर- द्वंद का।
कहीं तो, ‘गीत’ का ही प्रभाव है,
कहीं, ‘गीतिका’ की ही छांव है।
कोई कवि, ‘सुक्तक’ लिख रहें हैं,
तो कुछ ‘मुक्तक’ काव्य सीख रहे।
कुछ शायर,’शेर’ को जन्म दे रहे;
कोई ‘हाइकु’ सबको समझा रहे।
लेखक ‘लेख’ लिखने में व्यस्त हैं,
तो कहीं कोई, ‘गजल’ में मस्त है।
‘धनाक्षरी’ भी कोई कम नहीं है;
लिखे जो,उसे कोई गम नहीं है।
गजब संदेश छोड़ रहे हैं , ‘दोहा’
सभी श्रोता का इसने मन मोहा।
कोई ‘तेवरी’ में ही तेवर दिखाए;
तो कोई, घर ही ‘कव्वाली’ गाए।
‘कुंडलियां’भी खूब, खेल ही करे,
सब शब्दों में, सदा मेल ही करे।
:लघु कथा’ अपनी व्यथा सुनाए;
पाठक को पढ़ाकर,खूब रिझाए।
ये सब, “साहित्य की विधाएं” हैं;
जो, ऊपर ‘कविता’ में दर्शाएं हैं।
°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°
….. ✍️ पंकज “कर्ण”
…………कटिहार।।