Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
13 May 2024 · 1 min read

इतनी के बस !

जान देने की मेरी तैयारियाँ इतनी कि बस।
और जीने की मेरी लाचारियाँ इतनी कि बस।।

सबके होठों पे सजी है मुस्कुराहट देखिए,
और आँखों में छिपी मक्कारियाँ इतनी कि बस।

जबकि ख़ाली हाथ जाना है सभी को एक दिन,
लोग भरते हैं मगर अलमारियाँ इतनी कि बस।

जो नवाज़े जा रहे हैं रोज़ अपने मुल्क़ में,
नाम उनके दर्ज़ हैं ग़द्दारियाँ इतनी कि बस।

इश्क़ है इक बन्दगी लेकिन मियाँ ये जान लो,
इश्क़ की राहों में हैं दुश्वारियाँ इतनी कि बस।

नफ़रतों के बीज बो कर आदमी के ज़हन में,
इस सियासत ने चखी तरकारियाँ इतनी कि बस।

इस तरक़्क़ी ने कहीं का भी नहीं छोड़ा हमें,
रोज़ ही बढ़ने लगी बीमारियाँ इतनी कि बस।

आग के किरदार को समझें तो आख़िर किस तरह,
राख़ के नीचे मिली चिंगारियाँ इतनी कि बस।

18 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
कुप्रथाएं.......एक सच
कुप्रथाएं.......एक सच
Neeraj Agarwal
23/167.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/167.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
संवेदना
संवेदना
Shama Parveen
नवल प्रभात में धवल जीत का उज्ज्वल दीप वो जला गया।
नवल प्रभात में धवल जीत का उज्ज्वल दीप वो जला गया।
Neelam Sharma
टेसू के वो फूल कविताएं बन गये ....
टेसू के वो फूल कविताएं बन गये ....
Kshma Urmila
थोड़ी दुश्वारियां ही भली, या रब मेरे,
थोड़ी दुश्वारियां ही भली, या रब मेरे,
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
दस्तूर ए जिंदगी
दस्तूर ए जिंदगी
AMRESH KUMAR VERMA
मै पत्नी के प्रेम में रहता हूं
मै पत्नी के प्रेम में रहता हूं
भरत कुमार सोलंकी
किसी को अगर प्रेरणा मिलती है
किसी को अगर प्रेरणा मिलती है
Harminder Kaur
दूर अब न रहो पास आया करो,
दूर अब न रहो पास आया करो,
Vindhya Prakash Mishra
प्रहार-2
प्रहार-2
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
दूसरों के कर्तव्यों का बोध कराने
दूसरों के कर्तव्यों का बोध कराने
Dr.Rashmi Mishra
होली के रंग
होली के रंग
Sandhya Chaturvedi(काव्यसंध्या)
मैं तुमसे दुर नहीं हूँ जानम,
मैं तुमसे दुर नहीं हूँ जानम,
Dr. Man Mohan Krishna
साथ
साथ
Dr. Pradeep Kumar Sharma
सावन मे नारी।
सावन मे नारी।
Acharya Rama Nand Mandal
तू दूरबीन से न कभी ढूँढ ख़ामियाँ
तू दूरबीन से न कभी ढूँढ ख़ामियाँ
Johnny Ahmed 'क़ैस'
जीने की राह
जीने की राह
Madhavi Srivastava
कोई क्या करे
कोई क्या करे
Davina Amar Thakral
दिगपाल छंद{मृदुगति छंद ),एवं दिग्वधू छंद
दिगपाल छंद{मृदुगति छंद ),एवं दिग्वधू छंद
Subhash Singhai
नींदों में जिसको
नींदों में जिसको
Dr fauzia Naseem shad
शराब का सहारा कर लेंगे
शराब का सहारा कर लेंगे
शेखर सिंह
विषय तरंग
विषय तरंग
DR ARUN KUMAR SHASTRI
#चुनावी_दंगल
#चुनावी_दंगल
*Author प्रणय प्रभात*
होगे बहुत ज़हीन, सवालों से घिरोगे
होगे बहुत ज़हीन, सवालों से घिरोगे
Shweta Soni
मन की आँखें खोल
मन की आँखें खोल
Kaushal Kumar Pandey आस
आखिर शिथिलता के दौर
आखिर शिथिलता के दौर
DrLakshman Jha Parimal
पानी से पानी पर लिखना
पानी से पानी पर लिखना
Ramswaroop Dinkar
एक नासूर हो ही रहा दूसरा ज़ख्म फिर खा लिया।
एक नासूर हो ही रहा दूसरा ज़ख्म फिर खा लिया।
ओसमणी साहू 'ओश'
पुतलों का देश
पुतलों का देश
DR. Kaushal Kishor Shrivastava
Loading...