Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
23 Jul 2022 · 3 min read

*सावन का मतलब (छोटी कहानी)*

सावन का मतलब (छोटी कहानी)
■■■■■■■■■■■■■■■
“सावन का क्या मतलब है ? कुछ समझाओगे ? “-मैंने उससे प्रश्न किया । वह बाईस-तेईस साल का नवयुवक था । डिग्री कॉलेज में पोस्ट ग्रेजुएट की पढ़ाई कर रहा था । मुझसे कह रहा था कि आज सावन का पहला सोमवार है । उसके मुँह से यह सुनकर मुझे अच्छा लगा लेकिन न मालूम क्यों मैंने उससे उपरोक्त प्रश्न कर दिया। वह हल्का सा हँसा और फिर कहने लगा “सावन का भी कोई मतलब होता है ? यह तो एक धार्मिक त्योहार होता है । हर सोमवार को सावन में विशेष रूप से मनाया जाता है ।”
“फिर भी सावन का कुछ मतलब तो होता होगा ?”
“हाँ! क्यों नहीं । “कुछ सोचकर उसने कहा -“यह बारिश के मौसम को दर्शाता है। प्रकृति की हरियाली के प्रति हमारी समीपता को प्रकट करता है । ”
“कुछ हद तक तो सही कह रहे हो और सचमुच सावन की आत्मा भी इसी भावना में निवास करती है । लेकिन बताओगे कि सावन एक महीने क्यों चलता है ?”
इस प्रश्न पर वह कुछ चकराया और सोच कर बोला ” हां हां ! मेरे ख्याल से यह कोई महीना होता है । इसीलिए सावन एक महीने चलता है । लेकिन मुझे उसके बारे में ठीक-ठीक पता नहीं । यह तो व्रत-त्यौहार वगैरह निर्धारित करने की बातें होती हैं ।”
“देखो तुम बिल्कुल सही कह रहे हो। सावन सचमुच एक महीने का नाम है । जैसे ईसवी सन के कैलेंडर में जनवरी ,फरवरी ,मार्च ,अप्रैल आदि कुल बारह महीने होते हैं ठीक उसी प्रकार विक्रम संवत में सावन-भादो आदि कुल बारह महीने होते हैं ।”
वह उत्साह से भर उठा । कहने लगा “थोड़ा-थोड़ा तो मुझे इनके बारे में अंदाजा था लेकिन ठीक से बारह महीनों के नाम मुझे नहीं पता । हमारे सारे त्यौहार वैसे विक्रम संवत के इन्हीं बारह महीनों के आधार पर मनाए जाते हैं । दुर्भाग्य से हमें न विक्रम संवत के बारे में पता है और न विक्रम संवत के बारह महीनों के बारे में हम जानते हैं ।”
मैंने उसे बताया -“देखो ! विक्रम संवत ईसवी सन से भी पुराना है । लगभग सत्तावन वर्ष पुराना । भारत में विक्रम संवत के अनुसार ही अंग्रेजों के आने से पहले सारा राजकाज और जनता का कामकाज चलता था । अब तो हम लोग ईसवी सन् के अलावा और कुछ भी नहीं जानते । अंग्रेजों के आने के बाद हम अपनी संस्कृति और अपने महीने और वर्ष तक भूल गए । देखो बारह महीने होते हैं । चैत ,बैसाख ,जेठ ,आषाढ़, सावन ,भादो ,क्वार ,कार्तिक ,अगहन ,पूस, माघ ,फागुन । हर महीने के दो पखवाड़े होते हैं । महीने के अंत को पूर्णमासी कहते हैं । इस दिन चंद्रमा पूर्ण गोलाकार आकाश में चमकता है । उसके अगले दिन से नया महीना शुरू हो जाता है । चंद्रमा धीरे-धीरे घटता है और एक पखवाड़े अथवा पक्ष में घटते – घटते शून्य पर आ जाता है । इसे अमावस्या कहते हैं । अमावस्या के अगले दिन से चंद्रमा फिर बढ़ने लगता है । इसे दूसरे पक्ष की शुरुआत कहते हैं ।”
“अरे वाह अंकल ! आपने तो बड़ी मजेदार कहानी सुनाई । चाँद के बढ़ने और घटने की प्रक्रिया तो बहुत दिलचस्प है । और इसका संबंध हमारे हिंदी महीनों से भी है तथा त्योहारों से भी है । यह तो और भी आकर्षक बात है ।”
“देखो ,दीपावली कार्तिक की अमावस्या को होती है। गंगा-स्नान कार्तिक की पूर्णिमा को मनाया जाता है ।”
वह मेरी बात सुनते सुनते सहसा उदास हो गया । कहने लगा “इन महीनों का संबंध हमारे देश से है । फिर भी हमारे स्कूलों में यह सब हमें क्यों नहीं पढ़ाया जाता ?”
■■■■■■■■■■■■■■■■■■■
लेखक : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451

Language: Hindi
311 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Ravi Prakash
View all
You may also like:
ईश्वर के सम्मुख अनुरोध भी जरूरी है
ईश्वर के सम्मुख अनुरोध भी जरूरी है
Ajad Mandori
यूं ही कोई शायरी में
यूं ही कोई शायरी में
शिव प्रताप लोधी
धुन
धुन
Sangeeta Beniwal
होली
होली
डॉ नवीन जोशी 'नवल'
परोपकार
परोपकार
ओंकार मिश्र
कैद है तिरी सूरत आँखों की सियाह-पुतली में,
कैद है तिरी सूरत आँखों की सियाह-पुतली में,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
मन के वेग को यहां कोई बांध सका है, क्या समय से।
मन के वेग को यहां कोई बांध सका है, क्या समय से।
Annu Gurjar
पितरों का लें आशीष...!
पितरों का लें आशीष...!
मनोज कर्ण
सितमज़रीफ़ी
सितमज़रीफ़ी
Atul "Krishn"
जीवन में संघर्ष सक्त है।
जीवन में संघर्ष सक्त है।
Omee Bhargava
ज़िंदगानी
ज़िंदगानी
Shyam Sundar Subramanian
दोहा बिषय- दिशा
दोहा बिषय- दिशा
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
मुनाफे में भी घाटा क्यों करें हम।
मुनाफे में भी घाटा क्यों करें हम।
सत्य कुमार प्रेमी
पोषित करते अर्थ से,
पोषित करते अर्थ से,
sushil sarna
3747.💐 *पूर्णिका* 💐
3747.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
जब भी सोचता हूं, कि मै ने‌ उसे समझ लिया है तब तब वह मुझे एहस
जब भी सोचता हूं, कि मै ने‌ उसे समझ लिया है तब तब वह मुझे एहस
पूर्वार्थ
"नजर से नजर और मेरे हाथ में तेरा हाथ हो ,
Neeraj kumar Soni
गजल सगीर
गजल सगीर
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
मतदान जरूरी है - हरवंश हृदय
मतदान जरूरी है - हरवंश हृदय
हरवंश हृदय
बच्चे
बच्चे
Dr. Pradeep Kumar Sharma
राष्ट्र हित में मतदान
राष्ट्र हित में मतदान
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
ना जाने क्यों जो आज तुम मेरे होने से इतना चिढ़ती हो,
ना जाने क्यों जो आज तुम मेरे होने से इतना चिढ़ती हो,
Dr. Man Mohan Krishna
अगर प्रेम है
अगर प्रेम है
हिमांशु Kulshrestha
अनुभव 💐🙏🙏
अनुभव 💐🙏🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
दर्द ना अश्कों का है ना ही किसी घाव का है.!
दर्द ना अश्कों का है ना ही किसी घाव का है.!
शेखर सिंह
*किसकी है यह भूमि सब ,किसकी कोठी कार (कुंडलिया)*
*किसकी है यह भूमि सब ,किसकी कोठी कार (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
ओ अच्छा मुस्कराती है वो फिर से रोने के बाद /लवकुश यादव
ओ अच्छा मुस्कराती है वो फिर से रोने के बाद /लवकुश यादव "अज़ल"
लवकुश यादव "अज़ल"
#चिंतनीय
#चिंतनीय
*प्रणय*
"समरसता"
Dr. Kishan tandon kranti
मुझे जीना सिखा कर ये जिंदगी
मुझे जीना सिखा कर ये जिंदगी
कृष्णकांत गुर्जर
Loading...