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23 Apr 2024 · 1 min read

* सामने बात आकर *

** गीतिका **
~~
करो तुम कभी सामने बात आकर।
रखो अब नहीं कुछ कहीं भी छुपाकर।

न अच्छे लगे आज ये फासले जब।
शपथ लो रखेंगे सभी को हटाकर।

दिलों में समाई हुई आज सबके।
हवा ने महक को रखा है बहाकर।

नहीं नींद तुमको अभी आ रही है।
रखा प्रीति ने आपको है जगाकर।

निकट आ रहे आज भँवरे कली के।
तराना मधुर सा अभी गुनगुनाकर।

बहुत खूबसूरत समय साथ बीता।
भ्रमित भी किया खूब सपने दिखाकर।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
-सुरेन्द्रपाल वैद्य, २३/०४/२०२४

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