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31 Mar 2024 · 1 min read

सत्य छिपकर तू कहां बैठा है।

सत्य छिपकर तू कहां बैठा है।
झूठ हावी हो गया है क्यूं तू यूं रूठा है।।

खोजने मैं तुझको जाऊं कहां।
वास्तिविकता से परे हर कोई झूठा है।।

बे मुरव्वत हो गई है जिन्दगी।
आंखों का देखा हर सपना ही टूटा है।।

हकीकत से कोसो दूर हुआ।
इंसा बस कल्पनाओं में यहां जीता है।।

गफलत में जिया जो जीवन।
सब कुछ खोकर कुछ न वो पाता है।।

बुढ़ापे पर समझी ये जिंदगी।
अब सत्य को पाता है तो क्या पाता है।।

ताज मोहम्मद
लखनऊ

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