जाओ कविता जाओ सूरज की सविता
*हिंदी हमारी शान है, हिंदी हमारा मान है*
💐प्रेम कौतुक-416💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
आओ जाओ मेरी बाहों में,कुछ लम्हों के लिए
भीम के दीवाने हम,यह करके बतायेंगे
" from 2024 will be the quietest era ever for me. I just wan
आजकल लोग का घमंड भी गिरगिट के जैसा होता जा रहा है
तेरे दिल में मेरे लिए जगह खाली है क्या,
जो मुस्किल में छोड़ जाए वो यार कैसा
निराली है तेरी छवि हे कन्हाई
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
अंतिम युग कलियुग मानो, इसमें अँधकार चरम पर होगा।
सुस्त हवाओं की उदासी, दिल को भारी कर जाती है।
संघर्ष ,संघर्ष, संघर्ष करना!
*25_दिसंबर_1982: : प्रथम पुस्तक "ट्रस्टीशिप-विचार" का विमोचन