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10 May 2020 · 1 min read

सरकार से डर लगता है

=== डर लगता है
ऐसे हालात से डर लगता है।
झूंठी बात से डर लगता है।।

बात मन की करें जो बस अपनी।
ऐसी सरकार से डर लगता है।।

बाहर मौत है लाइलाज़ खड़ी ।
घर में भूखी मौत से डर लगता है।।

ऐसा आलम है देश में देखो तो।
आदमी होकर आदमीयत से डर लगता है।।

रोज होतें हैं करोड़ों के घोटाले यूं तो।
हमें तो रोटी भी चुराने से डर लगता है।।

बांट रहे हैं कुछ लोग भूख का राशन।
अपनी ग़रीबी का फोटो खिंचाने से डर लगता है।।

भाषणों की बारिश में रोज धूलती है ग़रीबी।
आंखों में ख्बाव पालने से डर लगता है।।

हमतो बीमारी है अमीरों के लिए “सागर”।
जिनको हमें छूने से भी डर लगता है।।

हादसें बढ रहें हैं दिन पै दिन इतनें।
अब तो जीनें से भी हमको तो डर लगता है।।
===========
मूल रचनाकार….
डॉ.नरेश कुमार “सागर”
21/04/2020

4 Likes · 3 Comments · 291 Views
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