समय की धारा
समय से जूझ कर देखो- वही आरम्भ है ,वही अंत है,
शीत के धूप सा सुखकर, भास्कर सा अनादि अनंत है I
व्यक्ति डूबने लगे जब दुःख के गहरे सागर में ,वो आशा है,
दुर्गम राह पर पाना हो जो मंजिल , समय अर्थकर अभिलाषा है,
समय तमस की रात्री में शुभ प्रकाश है, मानो तो इश्वर का वरदान
समय संग नीतिपरक हो चाल तो , निश्चित है आन, मान , सम्मान !
समय से पहले , भाग्य से अधिक – मिला है किसको क्या बोलो?
समय ही शब्दों को दे अर्थ, जब बोलो परिणाम को ध्यान से तोलो!
भुला दो बीते समय की याद को , पर सीख रखना याद ,
भविष्य की चिंता कर कर समय अनमोल को करो न बर्बाद ,
जो आज है ,वर्तमान -उसी को अलंकृत कर जिन्दगी जी लो
समय उजागर कर देगा जीत का हर पथ,उसकी बंदगी कर लो !