Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
1 Mar 2024 · 1 min read

अंतस के उद्वेग हैं ,

अंतस के उद्वेग हैं ,
स्पर्शों के दौर ।
कहे तिमिर यह भोर से,
ढूँढ नया अब ठौर ।।

सुशील सरना / 1-3-24

54 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
RKASHA BANDHAN
RKASHA BANDHAN
डी. के. निवातिया
लोकतंत्र का महापर्व
लोकतंत्र का महापर्व
Er. Sanjay Shrivastava
सुभाष चन्द्र बोस
सुभाष चन्द्र बोस
डॉ०छोटेलाल सिंह 'मनमीत'
जागो जागो तुम,अपने अधिकारों के लिए
जागो जागो तुम,अपने अधिकारों के लिए
gurudeenverma198
आहुति  चुनाव यज्ञ में,  आओ आएं डाल
आहुति चुनाव यज्ञ में, आओ आएं डाल
Dr Archana Gupta
*अज्ञानी की कलम*
*अज्ञानी की कलम*
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
महज़ एक गुफ़्तगू से.,
महज़ एक गुफ़्तगू से.,
Shubham Pandey (S P)
?????
?????
शेखर सिंह
सफल हस्ती
सफल हस्ती
Praveen Sain
"*पिता*"
Radhakishan R. Mundhra
प्रेम और आदर
प्रेम और आदर
ओंकार मिश्र
उठाना होगा यमुना के उद्धार का बीड़ा
उठाना होगा यमुना के उद्धार का बीड़ा
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
बनें जुगनू अँधेरों में सफ़र आसान हो जाए
बनें जुगनू अँधेरों में सफ़र आसान हो जाए
आर.एस. 'प्रीतम'
*संपूर्ण रामचरितमानस का पाठ: दैनिक रिपोर्ट*
*संपूर्ण रामचरितमानस का पाठ: दैनिक रिपोर्ट*
Ravi Prakash
लोगों को सफलता मिलने पर खुशी मनाना जितना महत्वपूर्ण लगता है,
लोगों को सफलता मिलने पर खुशी मनाना जितना महत्वपूर्ण लगता है,
Paras Nath Jha
रंजीत कुमार शुक्ल
रंजीत कुमार शुक्ल
Ranjeet kumar Shukla
बड़ा मुंहफट सा है किरदार हमारा
बड़ा मुंहफट सा है किरदार हमारा
ruby kumari
आज के युग का सबसे बड़ा दुर्भाग्य ये है
आज के युग का सबसे बड़ा दुर्भाग्य ये है
पूर्वार्थ
*कांच से अल्फाज़* पर समीक्षा *श्रीधर* जी द्वारा समीक्षा
*कांच से अल्फाज़* पर समीक्षा *श्रीधर* जी द्वारा समीक्षा
Surinder blackpen
Jay prakash dewangan
Jay prakash dewangan
Jay Dewangan
मर्द की कामयाबी के पीछे माँ के अलावा कोई दूसरी औरत नहीं होती
मर्द की कामयाबी के पीछे माँ के अलावा कोई दूसरी औरत नहीं होती
Sandeep Kumar
टूटते उम्मीदों कि उम्मीद
टूटते उम्मीदों कि उम्मीद
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
BUTTERFLIES
BUTTERFLIES
Dhriti Mishra
मेरी फितरत में नहीं है हर किसी का हो जाना
मेरी फितरत में नहीं है हर किसी का हो जाना
Vishal babu (vishu)
#हाँसो_र_मुस्कान
#हाँसो_र_मुस्कान
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
ये सुबह खुशियों की पलक झपकते खो जाती हैं,
ये सुबह खुशियों की पलक झपकते खो जाती हैं,
Manisha Manjari
■ क्यों ना उठे सवाल...?
■ क्यों ना उठे सवाल...?
*Author प्रणय प्रभात*
सोच के दायरे
सोच के दायरे
Dr fauzia Naseem shad
"कुण्डलिया"
surenderpal vaidya
स्वास विहीन हो जाऊं
स्वास विहीन हो जाऊं
Ravi Ghayal
Loading...