सावन में तुम आओ पिया.............
कई युगों के बाद - दीपक नीलपदम्
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
*युद्ध का आधार होता है 【मुक्तक】*
मेरी हर सोच से आगे कदम तुम्हारे पड़े ।
जनाजे में तो हम शामिल हो गए पर उनके पदचिन्हों पर ना चलके अपन
हम इतने भी बुरे नही,जितना लोगो ने बताया है
स्वर्ग से सुंदर समाज की कल्पना
उस जमाने को बीते जमाने हुए
वो जो तू सुन नहीं पाया, वो जो मैं कह नहीं पाई,
तुमसे ही से दिन निकलता है मेरा,
सिंहासन पावन करो, लम्बोदर भगवान ।
अगहन कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली एकादशी को उत्पन्ना एकादशी के
मुद्दत से तेरे शहर में आना नहीं हुआ
दिये को रोशननाने में रात लग गई
Tumhari khahish khuch iss kadar thi ki sajish na samajh paya
हों जो तुम्हे पसंद वही बात कहेंगे।
गहरे ध्यान में चले गए हैं,पूछताछ से बचकर।
सिलवटें आखों की कहती सो नहीं पाए हैं आप ।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"