🥀 *अज्ञानी की कलम*🥀
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
तुम्हें तो फुर्सत मिलती ही नहीं है,
*खुद ही लकीरें खींच कर, खुद ही मिटाना चाहिए (हिंदी गजल/ गीति
अग्नि परीक्षा सहने की एक सीमा थी
ख़त्म हुईं सब दावतें, मस्ती यारो संग
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
बापू
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
सफर पे निकल गये है उठा कर के बस्ता
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
अजीज़ सारे देखते रह जाएंगे तमाशाई की तरह
अरे मुंतशिर ! तेरा वजूद तो है ,
चंद घड़ी उसके साथ गुजारी है
💐प्रेम कौतुक-557💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
मुझे किसी को रंग लगाने की जरूरत नहीं
जितना तुझे लिखा गया , पढ़ा गया
ये जंग जो कर्बला में बादे रसूल थी