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10 Jan 2023 · 1 min read

सब्र रख

सब्र रख सच्च है क्या तुम जान जाओगे
मैं जो कहता हूँ खुदा कसम मान जाओगे

न तेरा दिल होगा न जिस्म बस राख होगी
तूँ सूरत पर न इतरा सुन ये भी खाक होगी

ये जागीर ये दौलत कौन कहाँ ले जाएगा
तूँ खाली हाथ आया यूँ खाली हाथ जाएगा

ये रिश्तों की डोर है जो बहुत भरमाएगी
तूँ जिसे मोहब्बत समझे कब साथ जाएगी

“विनोद”
जिंदगी है बेवफा ना ये साथ निभाएगी
कुछ मिठी यादें रख जो जख्म सहलाएंगी

स्वरचित
( V9द चौहान )

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