Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
25 Jul 2023 · 1 min read

“सन्नाटे का अस्तित्व”

वो बूढ़ा आदमी
जोर-जोर से चिल्लाता था,
कुछ बड़बड़ाता
तो कभी आवाज लगाता था,
मगर लोगों की समझ में
कुछ भी नहीं आता था।

एक बार मैंने
उसके पड़ोस में रहने वाले
एक शख्स से पूछा
आखिर वो बूढ़ा आदमी
क्या चाहता, क्या कहता?

उस शख्स की बात सुनकर
मैं दंग रह गया
कि सन्नाटे का अस्तित्व
इतना भारी हो सकता है,
उसका भयानकपन
इतनी बेकरारी दे सकता है?

जीवन साथी के गुजर जाने से
उम्र के अन्तिम पड़ाव में
अकेलापन और सन्नाटा
उस बूढ़े को इस कदर डराता था,
कि सन्नाटे को चीरने के लिए
वो जोर-जोर से चिल्लाता था।

(सत्य घटना पर आधारित)

-डॉ. किशन टण्डन क्रान्ति
वर्ष 2022-23 के लिए
भारत भूषण सम्मान प्राप्त।

Language: Hindi
8 Likes · 6 Comments · 163 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Dr. Kishan tandon kranti
View all
You may also like:
3619.💐 *पूर्णिका* 💐
3619.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
*मेरा वोट मेरा अधिकार (दोहे)*
*मेरा वोट मेरा अधिकार (दोहे)*
Rituraj shivem verma
*आओ सोचें अब सभी, गलत भीड़ का जोश (कुंडलिया)*
*आओ सोचें अब सभी, गलत भीड़ का जोश (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
एक ख्वाहिश थी
एक ख्वाहिश थी
हिमांशु Kulshrestha
कहानी - आत्मसम्मान)
कहानी - आत्मसम्मान)
rekha mohan
ज़िन्दगी में जो ताक़त बनकर आते हैं
ज़िन्दगी में जो ताक़त बनकर आते हैं
Sonam Puneet Dubey
शेखर सिंह
शेखर सिंह
शेखर सिंह
माथे की बिंदिया
माथे की बिंदिया
Pankaj Bindas
"सलाह"
Dr. Kishan tandon kranti
🥀 *गुरु चरणों की धूल*🥀
🥀 *गुरु चरणों की धूल*🥀
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
रोला छंद
रोला छंद
sushil sarna
जब कभी आपसी बहस के बाद तुम्हें लगता हो,
जब कभी आपसी बहस के बाद तुम्हें लगता हो,
Ajit Kumar "Karn"
Beginning of the end
Beginning of the end
Bidyadhar Mantry
पानी से पानी पर लिखना
पानी से पानी पर लिखना
Ramswaroop Dinkar
🌳वृक्ष की संवेदना🌳
🌳वृक्ष की संवेदना🌳
Dr. Vaishali Verma
भाव और ऊर्जा
भाव और ऊर्जा
कवि रमेशराज
गीता, कुरान ,बाईबल, गुरु ग्रंथ साहिब
गीता, कुरान ,बाईबल, गुरु ग्रंथ साहिब
Harminder Kaur
वो अपने घाव दिखा रहा है मुझे
वो अपने घाव दिखा रहा है मुझे
Manoj Mahato
**** फागुन के दिन आ गईल ****
**** फागुन के दिन आ गईल ****
Chunnu Lal Gupta
कलेवा
कलेवा
Satish Srijan
आप हो न
आप हो न
Dr fauzia Naseem shad
*दीपक सा मन* ( 22 of 25 )
*दीपक सा मन* ( 22 of 25 )
Kshma Urmila
रूठ मत जाना
रूठ मत जाना
surenderpal vaidya
..
..
*प्रणय प्रभात*
चार यार
चार यार
Bodhisatva kastooriya
तुम हो तो काव्य है, रचनाएं हैं,
तुम हो तो काव्य है, रचनाएं हैं,
Shreedhar
इच्छाओं से दूर खारे पानी की तलहटी में समाना है मुझे।
इच्छाओं से दूर खारे पानी की तलहटी में समाना है मुझे।
Manisha Manjari
!! मैं कातिल नहीं हूं। !!
!! मैं कातिल नहीं हूं। !!
जय लगन कुमार हैप्पी
भावों का भोर जब मिलता है अक्षरों के मेल से
भावों का भोर जब मिलता है अक्षरों के मेल से
©️ दामिनी नारायण सिंह
ये आसमा में जितने तारे हैं
ये आसमा में जितने तारे हैं
कवि दीपक बवेजा
Loading...