सतर्क पाठ प्रेमचंद का
प्रेमचंद
न तो संघियों-बजरंगियों को एकदम से तीता लगने लायक हैं
न ही बिल्कुल मीठा!
प्रेमचंद
न तो स्त्रीवादियों को
एकदम से सुहाने
लायक हैं
न ही बिल्कुल ठुकराने लायक!
प्रेमचन्द
न तो दलित बुद्धिजीवियों को
एकदम से अपनाने
लायक हैं
न ही बिल्कुल भुलाने लायक!
प्रेमचंद
न तो अपने पाठकों को
एकदम से बुलाने
लायक हैं
न ही बिल्कुल न पढ़वाने
लायक!