एक छोटा सा दर्द भी व्यक्ति के जीवन को रद्द कर सकता है एक साध
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
बिना अश्क रोने की होती नहीं खबर
मेरे दिल की हर इक वो खुशी बन गई
बेदर्द ज़माने ने क्या खूब सताया है…!
हम क्रान्ति तो ला चुके हैं कई बार
होठों पे वही ख़्वाहिशें आँखों में हसीन अफ़साने हैं,
*मांसाहारी अर्थ है, बनना हिंसक क्रूर (कुंडलिया)*
अवध में राम
Anamika Tiwari 'annpurna '
जिन स्वप्नों में जीना चाही
*कर्म बंधन से मुक्ति बोध*
विश्व कप लाना फिर एक बार, अग्रिम तुम्हें बधाई है
कोशिश है खुद से बेहतर बनने की