Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
20 May 2024 · 1 min read

सतयुग में राक्षक होते ते दूसरे लोक में होते थे और उनका नाम ब

सतयुग में राक्षक होते ते दूसरे लोक में होते थे और उनका नाम बड़ा होता था(हिरण्यकाश्प)
त्रेतायुग में दूसरे देश में हुए और इनका नाम और छोटा हो गया(रावण)
द्वापर में ये अपने घर में हुए और इनका नाम और छोटा होगा(कंस )
कलयुग में ये अपने अंदर होंगे और इनका नाम होगा (मै आपका मन और व्यवहार)

22 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
मेरे अंदर भी इक अमृता है
मेरे अंदर भी इक अमृता है
Shweta Soni
मस्ती का त्योहार है होली
मस्ती का त्योहार है होली
कवि रमेशराज
ख़याल
ख़याल
नन्दलाल सुथार "राही"
अमीर
अमीर
Punam Pande
परिदृश्य
परिदृश्य
Shyam Sundar Subramanian
गुरुपूर्व प्रकाश उत्सव बेला है आई
गुरुपूर्व प्रकाश उत्सव बेला है आई
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
"दूल्हन का घूँघट"
Ekta chitrangini
चंद मुक्तक- छंद ताटंक...
चंद मुक्तक- छंद ताटंक...
डॉ.सीमा अग्रवाल
"Let us harness the power of unity, innovation, and compassi
Rahul Singh
अगर प्यार करना गुनाह है,
अगर प्यार करना गुनाह है,
Dr. Man Mohan Krishna
मेहनत
मेहनत
Dr. Pradeep Kumar Sharma
डॉक्टर्स
डॉक्टर्स
Neeraj Agarwal
ईश्वर का रुप मां
ईश्वर का रुप मां
Keshi Gupta
6) “जय श्री राम”
6) “जय श्री राम”
Sapna Arora
भटक ना जाना मेरे दोस्त
भटक ना जाना मेरे दोस्त
Mangilal 713
"पृथ्वी"
Dr. Kishan tandon kranti
■ चहेतावादी चयनकर्ता।
■ चहेतावादी चयनकर्ता।
*प्रणय प्रभात*
3057.*पूर्णिका*
3057.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
इस बुझी हुई राख में तमाम राज बाकी है
इस बुझी हुई राख में तमाम राज बाकी है
कवि दीपक बवेजा
बुद्धिमान हर बात पर,
बुद्धिमान हर बात पर,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
अपनी कद्र
अपनी कद्र
Paras Nath Jha
गौभक्त और संकट से गुजरते गाय–बैल / मुसाफ़िर बैठा
गौभक्त और संकट से गुजरते गाय–बैल / मुसाफ़िर बैठा
Dr MusafiR BaithA
विचार
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
Dr Arun Kumar shastri
Dr Arun Kumar shastri
DR ARUN KUMAR SHASTRI
देखिए रिश्ते जब ज़ब मजबूत होते है
देखिए रिश्ते जब ज़ब मजबूत होते है
शेखर सिंह
कब हमको ये मालूम है,कब तुमको ये अंदाज़ा है ।
कब हमको ये मालूम है,कब तुमको ये अंदाज़ा है ।
Phool gufran
माँ मेरी
माँ मेरी
Dr fauzia Naseem shad
सुन लो बच्चों
सुन लो बच्चों
लक्ष्मी सिंह
हे कान्हा
हे कान्हा
Mukesh Kumar Sonkar
वो आए और देखकर मुस्कुराने लगे
वो आए और देखकर मुस्कुराने लगे
Surinder blackpen
Loading...