Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
4 Feb 2017 · 1 min read

सच कहना अच्छा लगता है

कहना मुझे अच्छा लगता है
क्योंकि मैं सच कह देता हूँ,
झूठ बोलने से पहले मेरी
जुबान लडखडा जाती है !!

अगर झूठ तुमको पसंद है
यह तुम्हारी आदत में है
मुझे क्यों अपनी इस आगोश
में शामिल करवाते हो !!

एक पल के सच को सच
न मान सके हो तुम
तो क्या फायदा में झूठ
कि दलीले सुनाता रहू रात भर !!

जो पल गुजर रहा है जान लेना
यह सच को दिखा रहा है
आने वाला कल तो झूठ की
बुनियाद बना रहा है !!

एक करवट बदलूँ पता नहीं, न बदल सकूं
तुम झूठ में मेरा दिल न बहलाओ
समय गुजरते देखा है मैने
कल क्या समय हो,यह न देख सकूंगा मैं !!

अजीत कुमार तलवार
मेरठ

Language: Hindi
392 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from गायक - लेखक अजीत कुमार तलवार
View all
You may also like:
Starting it is not the problem, finishing it is the real thi
Starting it is not the problem, finishing it is the real thi
पूर्वार्थ
*पहले घायल करता तन को, फिर मरघट ले जाता है (हिंदी गजल)*
*पहले घायल करता तन को, फिर मरघट ले जाता है (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
🥀*अज्ञानी की कलम*🥀
🥀*अज्ञानी की कलम*🥀
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
Bahut fark h,
Bahut fark h,
Sakshi Tripathi
प्रेम बनो,तब राष्ट्र, हर्षमय सद् फुलवारी
प्रेम बनो,तब राष्ट्र, हर्षमय सद् फुलवारी
Pt. Brajesh Kumar Nayak
23/23.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/23.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
बुद्ध को अपने याद करो ।
बुद्ध को अपने याद करो ।
Buddha Prakash
सत्ता परिवर्तन
सत्ता परिवर्तन
Shekhar Chandra Mitra
खुशनसीबी
खुशनसीबी
DR ARUN KUMAR SHASTRI
1...
1...
Kumud Srivastava
मेरी कलम से…
मेरी कलम से…
Anand Kumar
रमेशराज की एक तेवरी
रमेशराज की एक तेवरी
कवि रमेशराज
बड़े अगर कोई बात कहें तो उसे
बड़े अगर कोई बात कहें तो उसे
भवानी सिंह धानका 'भूधर'
सजाता हूँ मिटाता हूँ टशन सपने सदा देखूँ
सजाता हूँ मिटाता हूँ टशन सपने सदा देखूँ
आर.एस. 'प्रीतम'
माँ
माँ
meena singh
" क्यूँ "
Dr. Kishan tandon kranti
हादसे बोल कर नहीं आते
हादसे बोल कर नहीं आते
Dr fauzia Naseem shad
वक़्त ने किया है अनगिनत सवाल तपते...
वक़्त ने किया है अनगिनत सवाल तपते...
सिद्धार्थ गोरखपुरी
कौन सुने फरियाद
कौन सुने फरियाद
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
भले नफ़रत हो पर हम प्यार का मौसम समझते हैं.
भले नफ़रत हो पर हम प्यार का मौसम समझते हैं.
Slok maurya "umang"
बड़ी दूर तक याद आते हैं,
बड़ी दूर तक याद आते हैं,
शेखर सिंह
अपने अपने युद्ध।
अपने अपने युद्ध।
Lokesh Singh
चाय की घूंट और तुम्हारी गली
चाय की घूंट और तुम्हारी गली
Aman Kumar Holy
नेता की रैली
नेता की रैली
Punam Pande
मेरी (उनतालीस) कविताएं
मेरी (उनतालीस) कविताएं
श्याम सिंह बिष्ट
चुलबुली मौसम
चुलबुली मौसम
Anil "Aadarsh"
बेनाम जिन्दगी थी फिर क्यूँ नाम दे दिया।
बेनाम जिन्दगी थी फिर क्यूँ नाम दे दिया।
Rajesh Tiwari
--पागल खाना ?--
--पागल खाना ?--
गायक - लेखक अजीत कुमार तलवार
कुछ लिखूँ ....!!!
कुछ लिखूँ ....!!!
Kanchan Khanna
राहों में खिंची हर लकीर बदल सकती है ।
राहों में खिंची हर लकीर बदल सकती है ।
Phool gufran
Loading...