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1 Feb 2024 · 1 min read

सच और सोच

शीर्षक – सच और सोच
*****************
सच और सोच हमारी रहती हैं।
हम ही तो भीड़ बने रहते हैं
न तन्हाई न जोश उमंग हैं।
जिंदगी और जीवन अलग,
सच और सोच रखतें हैं।
सभी अकेले और तन्हा ,
यही सच और सोच कहते हैं।
हां सच और सोच समय के ,
समुद्र में लहर हम बनते हैं।
आज यही सच और सोच,
आधुनिक हम जो बनते हैं।
न मां पिता के साथ-साथ,
सच और सोच हम कहते हैं।
बस यही जीवन के संग,
सच और सोच के रंग होते हैं।
आज हम सभी अपनी,
सच और सोच बदलते हैं।
आओ हम सभी अपनो,
के साथ सच और सोच साझा करते हैं।
*****************
नीरज अग्रवाल चन्दौसी उ.प्र

Language: Hindi
62 Views
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