Pahado ke chadar se lipti hai meri muhabbat
कोई आपसे तब तक ईर्ष्या नहीं कर सकता है जब तक वो आपसे परिचित
दुनिया का क्या दस्तूर बनाया, मरे तो हि अच्छा बतलाया
बीत गया प्यारा दिवस,करिए अब आराम।
The sky longed for the earth, so the clouds set themselves free.
कब तक जीने के लिए कसमे खायें
कविता के हर शब्द का, होता है कुछ सार
ऊपर चढ़ता देख तुम्हें, मुमकिन मेरा खुश होना।
आखिर कब तक
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
मुट्ठी में बन्द रेत की तरह
ये मेरे घर की चारदीवारी भी अब मुझसे पूछती है
याद है पास बिठा के कुछ बाते बताई थी तुम्हे