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20 May 2021 · 1 min read

#रुबाइयाँ – सच्चा इंसान

संभल जाए तूफ़ानों में , वो मामूली इंसान नहीं।
साथ समय के चलता जाए , कहते उसको नादान नहीं।।
ख़ुद से मोहब्बत है जितनी , उतनी औरों से करता जो।
उससे बढ़कर हमने देखा , कोई भी और महान नहीं।।

दोष बताए होश दिलाए , उत्साहित करता पलपल जो।
एक हितैषी मीत वही है , मन रखता निज गंगा-जल जो।।
अहसान नहीं कभी गिनाए , हर संकट में साथ निभाए।
जीत मीत की सदा सुहाए , बनता नैनों का काजल जो।।

विपरीत हवा के चलता वो , जो पिये जुनूँ का प्याला हो।
घोर अँधेरों में भी जिसके , भरा हृदय ओज उजाला हो।।
खारा पानी मृदु जल कर दे , प्यास धरा की बरस बुझाए;
सावन की वो शोभा बनता , जो निश्छल मेघ निराला हो।।

#आर.एस.’प्रीतम’
#सर्वाधिकार सुरक्षित रचना

Language: Hindi
1 Like · 2 Comments · 345 Views
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