Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
20 Feb 2024 · 1 min read

दुखों का भार

राष्ट्र पर अब भी दुखों का भार है।
दिल गरीबी की वजह से क्षार है।
दिख रही शोषण -अशिक्षा की कसक।
कहें कैसे, अब न अत्याचार है?

पं बृजेश कुमार नायक

1 Like · 137 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Pt. Brajesh Kumar Nayak
View all
You may also like:
2389.पूर्णिका
2389.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
फागुन
फागुन
Punam Pande
विषय :- काव्य के शब्द चुनाव पर |
विषय :- काव्य के शब्द चुनाव पर |
Sûrëkhâ Rãthí
आत्मा की आवाज
आत्मा की आवाज
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
The Earth Moves
The Earth Moves
Buddha Prakash
स्वयं से सवाल
स्वयं से सवाल
आनन्द मिश्र
मन और मस्तिष्क
मन और मस्तिष्क
Dhriti Mishra
छोटी छोटी खुशियों से भी जीवन में सुख का अक्षय संचार होता है।
छोटी छोटी खुशियों से भी जीवन में सुख का अक्षय संचार होता है।
Dr MusafiR BaithA
"इमली"
Dr. Kishan tandon kranti
मगरूर क्यों हैं
मगरूर क्यों हैं
Mamta Rani
....नया मोड़
....नया मोड़
Naushaba Suriya
मीठा गान
मीठा गान
rekha mohan
संस्कारों की पाठशाला
संस्कारों की पाठशाला
Dr. Pradeep Kumar Sharma
अवधी मुक्तक
अवधी मुक्तक
प्रीतम श्रावस्तवी
मातु शारदे वंदना
मातु शारदे वंदना
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
" सब भाषा को प्यार करो "
DrLakshman Jha Parimal
माँ ही हैं संसार
माँ ही हैं संसार
Shyamsingh Lodhi (Tejpuriya)
जलाओ प्यार के दीपक खिलाओ फूल चाहत के
जलाओ प्यार के दीपक खिलाओ फूल चाहत के
आर.एस. 'प्रीतम'
दिन गुज़रते रहे रात होती रही।
दिन गुज़रते रहे रात होती रही।
डॉक्टर रागिनी
■ जय ब्रह्मांड 😊😊😊
■ जय ब्रह्मांड 😊😊😊
*Author प्रणय प्रभात*
हे माधव
हे माधव
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
राम लला
राम लला
Satyaveer vaishnav
मित्रता-दिवस
मित्रता-दिवस
Kanchan Khanna
फागुनी है हवा
फागुनी है हवा
surenderpal vaidya
किया है यूँ तो ज़माने ने एहतिराज़ बहुत
किया है यूँ तो ज़माने ने एहतिराज़ बहुत
Sarfaraz Ahmed Aasee
सबके सामने रहती है,
सबके सामने रहती है,
लक्ष्मी सिंह
*चुनाव में उम्मीदवार (हास्य व्यंग्य)*
*चुनाव में उम्मीदवार (हास्य व्यंग्य)*
Ravi Prakash
नजर लगी हा चाँद को, फीकी पड़ी उजास।
नजर लगी हा चाँद को, फीकी पड़ी उजास।
डॉ.सीमा अग्रवाल
सुखम् दुखम
सुखम् दुखम
DR ARUN KUMAR SHASTRI
मध्यम वर्गीय परिवार ( किसान)
मध्यम वर्गीय परिवार ( किसान)
Nishant prakhar
Loading...