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20 Aug 2023 · 1 min read

अवधी मुक्तक

ना धोती ना कुरता ना गमछा कै अब चलन रहा
पच्छूँ के ख़्वाहिस मा समाज ई आपन मगन रहा

काव कही जब से ई डेनिम कै फैसन आय गवा
नौका पीढ़ी पहिर कै कपड़ा आधेस ज्यादा नगन रहा

प्रीतम श्रावस्तवी

Language: Hindi
143 Views
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