Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
11 Jun 2023 · 2 min read

देव्यपराधक्षमापन स्तोत्रम

देव्यपराधक्षमापन स्तोत्रम

नहीं मैं मंत्र ही जानूँ, नहीं मैं तंत्र भी जानूँ,
नहीं कुछ ध्यान आवाहन, कथा विनति कोई जानूँ।
नहीं मुद्रा समझ आती, नहीं व्याकुल विलापी पर-
शरण तेरी हरे संकट, यही बस बात मैं जानूँ।।1

नहीं कुछ पास धन दौलत, नहीं पूजा विधि जानूँ,
तनिक मैं आलसी हूँ तो, विधि विधान क्या जानूँ।
जहाँ गलती हुई मुझसे, जरा तुम माफ़ कर देना-
गलत बेटा भले हो पर, कुमाता माँ नहीं जानूँ।।2

सकल धरती चराचर में, तुम्हारे पूत हैं प्यारे,
उन्हीं में से यहाँ माता, चपल चंचल मैं थारे।
हमारा त्याग यूँ करना- उचित कैसे भला मानूँ
गलत बेटा भले हो पर, कुमाता माँ नहीं जानूँ।3

नहीं चरणों की सेवा की, जगत माता ऐ जगदम्बा,
समर्पित की नहीं दौलत, तुम्हारे पास माँ अम्बा।
मगर फिर भी अधम मुझसे, मुहब्बत देख के मानूँ,
गलत बेटा भले हो पर, कुमाता माँ नहीं होती।।4

बहुत सेवा समर्पण ने , हमेशा व्यग्र कर डाला,
अवस्था बीत जाने से, अभी सब देव् तज डाला।
नहीं पूजा अगर करता, उन्हीं से आस क्या बाँधूं?
कृपा तेरी नहीं हो तो, भला किसके शरण जाऊं?5

तुम्हारे मंत्र का अक्षर, अगर पड़ जाय जो कानों,
निपट चंडाल मूरख भी, मधुर वक्ता बने जानो।
महज़ इक मंत्र अक्षर के श्रवण का लाभ जब इतना-
सकल विधान जपतप से, मिलेगा क्या समझता हूँ।। 6

चिताभस्मा लपेटे जो, गरल भोजन दिगम्बर जो
जटाधारी भुजगकण्ठे, कपाली भूत धारी वो।
जगत जगदीश की पदवी, मिली है क्यूँ भला जानूँ-
तुम्हारा हाथ पाकर ही, हुए विख्यात शिव जानूँ।।7

नहीं है मोक्ष की इच्छा, नहीं कुछ चाह वैभव की,
नहीं विज्ञान की चाहत, अपेक्षा है नहीं सुख की।
हमारी याचना तुमसे, यही है मात जगदम्बे-
गुजर जाये यह जीवन, तुम्हारा नाम जपकर के। 8

विविध विधान से माता, नही पूजा ही कर पाया,
किया अपराध जो मैंने, नहीं कुछ भूल ही पाया।
कृपा दृष्टि मगर फिर भी, पड़ी अनाथ पर तेरी-
कुपुत्रों को भी माता, शरण तुम पास ही मिलता।9

विपत्ति में उलझ कर के, तुम्हें अब याद करता हूँ,
नहीं तब याद कर पाया, यही फरियाद करता हूँ।
समझना तुम नहीं सठ ये, जरा हालात को जानो-
क्षुधापीडित और प्यासा, तभी तो याद करता हूँ।।10

कृपा तेरी बनी मुझपर, यही तो बात अचरज की,
करे अपराध बेटा पर, उपेक्षा माँ नहीं करती।11

नहीं मुझसा यहाँ पापी, न तुमसा कोई पापघ्नी-
समझकर तुम महादेवी, उचित हो जो करो देवी।।12

©पंकज प्रियम

321 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
आधुनिक युग में हम सभी जानते हैं।
आधुनिक युग में हम सभी जानते हैं।
Neeraj Agarwal
गूढ़ बात~
गूढ़ बात~
दिनेश एल० "जैहिंद"
Kavita
Kavita
shahab uddin shah kannauji
चेहरे की पहचान ही व्यक्ति के लिये मायने रखती है
चेहरे की पहचान ही व्यक्ति के लिये मायने रखती है
शेखर सिंह
దేవత స్వరూపం గో మాత
దేవత స్వరూపం గో మాత
डॉ गुंडाल विजय कुमार 'विजय'
Love Is The Reason Behind
Love Is The Reason Behind
Manisha Manjari
*हथेली  पर  बन जान ना आए*
*हथेली पर बन जान ना आए*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
Perfection, a word which cannot be described within the boun
Perfection, a word which cannot be described within the boun
Sukoon
*बरगद (बाल कविता)*
*बरगद (बाल कविता)*
Ravi Prakash
मैं भी तुम्हारी परवाह, अब क्यों करुँ
मैं भी तुम्हारी परवाह, अब क्यों करुँ
gurudeenverma198
दिल की हक़ीक़त
दिल की हक़ीक़त
Dr fauzia Naseem shad
कहां से कहां आ गए हम..!
कहां से कहां आ गए हम..!
Srishty Bansal
परम प्रकाश उत्सव कार्तिक मास
परम प्रकाश उत्सव कार्तिक मास
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
महाशिव रात्रि की हार्दिक शुभकामनाएँ
महाशिव रात्रि की हार्दिक शुभकामनाएँ
अंकित शर्मा 'इषुप्रिय'
नववर्ष 2024 की अशेष हार्दिक शुभकामनाएँ(Happy New year 2024)
नववर्ष 2024 की अशेष हार्दिक शुभकामनाएँ(Happy New year 2024)
आर.एस. 'प्रीतम'
23/161.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/161.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
"व्यर्थ है धारणा"
Dr. Kishan tandon kranti
स्वाद छोड़िए, स्वास्थ्य पर ध्यान दीजिए।
स्वाद छोड़िए, स्वास्थ्य पर ध्यान दीजिए।
Sanjay ' शून्य'
दूर भाग जाएगा ॲंधेरा
दूर भाग जाएगा ॲंधेरा
Paras Nath Jha
😊लघु-कथा :--
😊लघु-कथा :--
*Author प्रणय प्रभात*
काली हवा ( ये दिल्ली है मेरे यार...)
काली हवा ( ये दिल्ली है मेरे यार...)
Manju Singh
सौ रोग भले देह के, हों लाख कष्टपूर्ण
सौ रोग भले देह के, हों लाख कष्टपूर्ण
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
गांव - माँ का मंदिर
गांव - माँ का मंदिर
नवीन जोशी 'नवल'
*आस्था*
*आस्था*
Dushyant Kumar
ग़ज़ल
ग़ज़ल
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
Kbhi Karib aake to dekho
Kbhi Karib aake to dekho
Sakshi Tripathi
सुबह को सुबह
सुबह को सुबह
rajeev ranjan
💐प्रेम कौतुक-557💐
💐प्रेम कौतुक-557💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
उतरन
उतरन
Dr. Pradeep Kumar Sharma
अवधी लोकगीत
अवधी लोकगीत
प्रीतम श्रावस्तवी
Loading...