सच्चा आनंद
कोई जाकर उससे पूछे
सच्चा आनंद क्या होता है
जिसने दिन भर काम किया है
कड़ी धूप में काम किया है
खेत जोते पत्थर तोड़े।
पल भर न विश्राम किया है।
दोपहर के भोजन में जो
रूखी सूखी रोटी खाकर
सुस्ताने हेतु बिना बिछोने सोया है
पल भर में ही नींद लगी और
सुख के सपनों में खोया है
सच्चा आनंद है यही जीवन का
परिश्रम से जो मिलता है।
-विष्णु प्रसाद ‘पाँचोटिया’