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18 Jan 2022 · 4 min read

संस्मरण *सुंदर लाल इंटर कॉलेज ,रामपुर में दो दिग्गज राजनेताओं द्वारा किया गया गैर-राजनीतिक प्रवृत्ति का योगदान

#आजम_खाँ #शिव_बहादुर_सक्सेना #सुंदर_लाल_इंटर_कॉलेज

#संस्मरण
सुंदर लाल इंटर कॉलेज ,रामपुर में दो दिग्गज राजनेताओं द्वारा किया गया गैर-राजनीतिक प्रवृत्ति का योगदान
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” मेरे सामने लाला राम प्रकाश जी सर्राफ बैठे हैं। मैं चाहता हूँ कि सुंदर लाल इंटर कॉलेज में एक ईंट मेरे नाम की भी लग जाए ।”
यह शब्द थे श्री मोहम्मद आजम खाँ के। अवसर था ,कन्या इंटर कॉलेज ,खारी कुआँ रामपुर में विद्यालय के एक समारोह का । श्री आजम खाँ मंच से भाषण दे रहे थे । श्रोताओं की दूसरी या तीसरी पंक्ति में सुंदर लाल इंटर कॉलेज के प्रबंधक श्री राम प्रकाश सर्राफ विराजमान थे । श्री आजम खाँ की दृष्टि राम प्रकाश जी पर पड़ी और भाषण देते समय उन्होंने अपने हृदय की भावनाएँ सार्वजनिक रूप से व्यक्त कर दीं। जब समारोह समाप्त हुआ ,तब श्री राम प्रकाश सर्राफ ने श्री आजम खाँ से मिलने का कोई अतिरिक्त प्रयास नहीं किया । दोनों के बीच न कोई बातचीत हुई ,न मुलाकात । राम प्रकाश जी घर वापस आ गए। वर्षों बीत गये। समय धीरे-धीरे पंख लगाकर उड़ता चला गया । घटना एक भूली-बिसरी याद बनकर रह गई ।
**+++++++**
एक बार रामप्रकाश जी ने विद्यालय के प्रधानाचार्य श्री बद्री प्रसाद गुप्ता के साथ मिलकर यह योजना बनाई कि विद्यालय के मुख्य भवन के खुले मैदान में लेंटर डाल कर भवन का निर्माण इस प्रकार से किया जाए कि मैदान में चारों तरफ हवा और धूप आती रहे तथा निर्माण बीचोबीच हो । तदुपरांत प्रथम मंजिल पर एक भवन का निर्माण कर लिया जाए । ग्राउंड-फ्लोर खुला रहेगा । सारा कार्य विद्यालय के आंतरिक स्रोतों से कराने का निश्चय हुआ । यह भी विचार बना कि दो चरणों में कार्य किया जाए । पहले ग्राउंड-फ्लोर का लेंटर पड़ जाए और उसके बाद बजट को देखकर आगे का कार्य हो ।
कार्य-योजना धीरे-धीरे बनकर तैयार हो गई । प्रिंसिपल साहब ने कार्य का नक्शा तैयार करवाया और नक्शे को एक दिन प्रबंधक महोदय श्री राम प्रकाश सर्राफ के हस्ताक्षरों के लिए उनके समक्ष प्रस्तुत किया। राम प्रकाश जी नक्शे से संतुष्ट थे। हस्ताक्षर एक औपचारिकता होती है । उन्होंने कर दिए । अब कार्य आरंभ होना था।
सौभाग्य से अकस्मात अगले दिन राम प्रकाश जी को प्रधानाचार्य द्वारा सूचना मिली कि श्री आजम खाँ विद्यालय में पधारे हैं । राम प्रकाश जी विद्यालय गए । नक्शा मेज पर रखा हुआ था । श्री आजम खाँ, प्रधानाचार्य तथा कुछ अन्य लोग विराजमान थे । श्री आजम खाँ को देखकर राम प्रकाश जी ने सहज मुस्कान के साथ उनका स्वागत किया । श्री आजम खाँ आत्मीयता से भर उठे । नक्शा हाथ में लिया और कहा ” मैं चाहता हूँ कि इस भवन का निर्माण मेरे द्वारा हो जाए ! ”
राम प्रकाश जी ने एक क्षण की देरी किए बिना भी मुस्कुराते हुए उत्तर दिया
“इससे बेहतर बात और क्या हो सकती है कि आप हमारे विद्यालय के प्रति आत्मीयता रखते हैं । यह हमारा सौभाग्य है।”
बस फिर क्या था ,श्री आजम खाँ ने विद्यालय के आँगन में पूर्व-निर्धारित योजना के अनुसार ग्राउंड फ्लोर का तथा उसके बाद पहली मंजिल पर कंप्यूटर-कक्ष का निर्माण कराया । ग्राउंड फ्लोर पर लिंटर पड़ते समय ठेकेदार का प्रयास था कि आंगन के बीचोबीच पिलर (खंभा) अवश्य डाला जाए। राम प्रकाश जी ने इस बात को उचित नहीं माना और कहा कि बीचोबीच खंभा डालने से विद्यालय का सौंदर्य समाप्त हो जाएगा। अतः ऐसा होने की अनुमति नहीं दी जा सकती । ठेकेदार का तर्क था कि अगर बीच में पिलर नहीं डाला गया तो योजना का बजट-खर्च बहुत ज्यादा बढ़ जाएगा ।
इस बात पर काम रुक गया । बाद में सुनते हैं कि श्री आजम खाँ ने ठेकेदार को यह निर्देश दिया था कि जैसा श्री राम प्रकाश जी चाहते हैं ,उसी प्रकार से निर्माण कार्य होता रहना चाहिए तथा इसमें कोई बाधा उत्पन्न नहीं होनी चाहिए । उसके बाद ठेकेदार महोदय ने छोटे से छोटे कार्य में भी राम प्रकाश जी की अनुमति लेकर ही चीजों का चयन किया था ।
श्री आजम खाँ के उदारतापूर्वक योगदान का पत्थर कंप्यूटर-कक्ष में आज भी लगा हुआ है तथा जो विद्यालय के प्रति उनके योगदान को दर्शा रहा है ।
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श्री शिव बहादुर सक्सेना विद्यालय के समारोह में मुख्य अतिथि के रुप में पधारे थे। मंत्री पद से हट चुके थे । कार्यक्रम में आपने अपने निजी स्रोतों से पचास हजार रुपए विद्यालय को दान में देने की घोषणा की और यह धनराशि प्रदान कर दी । उनके इस योगदान के प्रति एक धन्यवाद-पत्र तैयार करके प्रबंधक और प्रधानाचार्य के संयुक्त हस्ताक्षरों द्वारा राम प्रकाश जी ने प्रिंसिपल साहब के द्वारा पहुंचाने की व्यवस्था की ।
कृतज्ञता व्यक्त करना उच्च आदर्शों को दर्शाता है । राम प्रकाश जी चाहे श्री आजम खाँ का योगदान हो अथवा श्री शिव बहादुर सक्सेना का योगदान हो ,सभी के प्रति हृदय से कृतज्ञता व्यक्त करते थे । बस इतना जरूर है कि वह विद्यालय की कार्यप्रणाली को दलगत राजनीतिक हस्तक्षेप से बाधित करने के विरुद्ध थे।इसलिए चाहे सपा ,बसपा या कांग्रेस हो अथवा भाजपा हो ,सभी से उन्होंने विद्यालय के संचालन की दृष्टि से समान दूरी बनाकर रखी ।
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*लेखक : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा*
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451

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