Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
6 May 2024 · 1 min read

संविधान बचाना है

हम स्वाधीन हुए, हमारा नया संविधान बना
भारत देश हमारा सदियों बाद स्वतंत्र बना
हम संप्रभु हुए, जन जन का लोकतंत्र बना
आत्मर्पित -अंगीकार कर, सम्मान करते हैं।

हमारा संविधान हमारा जीवन है
जन जन का प्यारा नवजीवन है।
इसकी मंशा हमारा संजीवन है
इसकी रक्षा की प्रतिज्ञा हम करते है।

इस संविधान को बचाना है
इसे सुरक्षित सर्वदा रखना है
यह हमारा नैतिक कर्तव्य है
यही हमारा परम पावन ध्येय है।

जब भी निर्वाचन आता है
संविधान बचाने की मुहिम
कुछ ज्यादा तेज हो जाता है
कोई बताएं जरा, ऐसा क्यों होता है?

पक्ष हो या कि हो प्रतिपक्ष
दोनों एक ही बात कहता है
यह कह कहकर सहजता से
दोनों को ही मत मिल जाता है।

कोई भी शासक यहां शासन करता हो
संविधान का प्रारूप नहीं बदल सकता है
वक्त- जरूरत संशोधन तो कर सकता है
“संविधान बचाना है,” जुमला -सा लगता है।

*****************************
स्वरचित: घनश्याम पोद्दार
मुंगेर

Language: Hindi
24 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
गुरु गोविंद सिंह जी की बात बताऊँ
गुरु गोविंद सिंह जी की बात बताऊँ
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
हर कदम बिखरे थे हजारों रंग,
हर कदम बिखरे थे हजारों रंग,
Kanchan Alok Malu
कलियुग है
कलियुग है
Sanjay ' शून्य'
बेइंतहा सब्र बक्शा है
बेइंतहा सब्र बक्शा है
Dheerja Sharma
मेरा जो प्रश्न है उसका जवाब है कि नहीं।
मेरा जो प्रश्न है उसका जवाब है कि नहीं।
सत्य कुमार प्रेमी
कि  इतनी भीड़ है कि मैं बहुत अकेली हूं ,
कि इतनी भीड़ है कि मैं बहुत अकेली हूं ,
Mamta Rawat
'खामोश बहती धाराएं'
'खामोश बहती धाराएं'
Dr MusafiR BaithA
ध्यान सारा लगा था सफर की तरफ़
ध्यान सारा लगा था सफर की तरफ़
अरशद रसूल बदायूंनी
छलते हैं क्यों आजकल,
छलते हैं क्यों आजकल,
sushil sarna
एक दोहा दो रूप
एक दोहा दो रूप
Suryakant Dwivedi
बहुत समय हो गया, मैं कल आया,
बहुत समय हो गया, मैं कल आया,
पूर्वार्थ
Kabhi kabhi hum
Kabhi kabhi hum
Sakshi Tripathi
पूजा
पूजा
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
स्वाधीनता के घाम से।
स्वाधीनता के घाम से।
Pt. Brajesh Kumar Nayak
প্রশ্ন - অর্ঘ্যদীপ চক্রবর্তী
প্রশ্ন - অর্ঘ্যদীপ চক্রবর্তী
Arghyadeep Chakraborty
2760. *पूर्णिका*
2760. *पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
जल प्रदूषण पर कविता
जल प्रदूषण पर कविता
कवि अनिल कुमार पँचोली
"तुलना"
Dr. Kishan tandon kranti
प्यार की लौ
प्यार की लौ
Surinder blackpen
■ जनादेश की ऐसी-तैसी...
■ जनादेश की ऐसी-तैसी...
*Author प्रणय प्रभात*
ले आओ बरसात
ले आओ बरसात
संतोष बरमैया जय
*हे शारदे मां*
*हे शारदे मां*
Dr. Priya Gupta
जमाने से क्या शिकवा करें बदलने का,
जमाने से क्या शिकवा करें बदलने का,
Umender kumar
पापा आपकी बहुत याद आती है !
पापा आपकी बहुत याद आती है !
Kuldeep mishra (KD)
क्या होगा कोई ऐसा जहां, माया ने रचा ना हो खेल जहां,
क्या होगा कोई ऐसा जहां, माया ने रचा ना हो खेल जहां,
Manisha Manjari
मन की आँखें खोल
मन की आँखें खोल
Kaushal Kumar Pandey आस
मरीचिका
मरीचिका
लक्ष्मी सिंह
भेड़ चालों का रटन हुआ
भेड़ चालों का रटन हुआ
Vishnu Prasad 'panchotiya'
आओ हम सब मिल कर गाएँ ,
आओ हम सब मिल कर गाएँ ,
Lohit Tamta
*मुख काला हो गया समूचा, मरण-पाश से लड़ने में (हिंदी गजल)*
*मुख काला हो गया समूचा, मरण-पाश से लड़ने में (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
Loading...