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1 May 2024 · 1 min read

“संलाप”

“संलाप”
बस बैठे-बैठे ही
नहीं बदलता संसार,
कभी आनन्द
कभी वेदना
कभी उठाने पड़ते
पूरे एटलस का भार।

3 Likes · 3 Comments · 103 Views
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