श्रृंगार
माथे की बिंदिया चमचम,
पैरों में पायल की छनछन,
हाथों में कंगन की खनखन,
रुनझुन छनके कमरबंद,
करते साजन का अभिनंदन।
रिश्ता अपना खुशबू चंदन,
रहे दीप्त क्षितिज-सा यौवन,
नित प्रेम पले,खिलता उपवन,
नयनों में डूबा हो प्रेम प्रवर्तन,
चल काट उर के कलुष बंधन।
नीलम शर्मा ✍️