शीर्षक:विदा का अर्थ
•●● विदा का अर्थ ●●•
विदा होने का अर्थ
जुदाई मात्र नही बल्कि
मेरे अनुसार तो उन अप्रितम
क्षणों के अधिक करीब होना हैं
जो अब सिर्फ स्मृतियों में ही समाहित हैं
अतल जा बैठे हैं विदा कब कुछ होता हैं
एक विचार,भाव भी विदा नही होता हैं
यादों की अंधेरी कोठरी में
कदम रखने ही विदाई खत्म करता है
कब यादों से हम विदा ले पाते हैं
अतीत में विदा हम विचारों को भी नही कर पाते
यादों के बीहड़ में बस कदम रखने की देरी मात्र
अतल जा बैठे हैं विदा कब कुछ होता हैं
एक विचार,भाव भी विदा नही होता हैं
विदा किये जाने पर पुनः सामने ही बीते क्षण
मानों शीशे में स्वयं को ही देख रहे हो
प्रत्यक्ष हूबहू वहीं रूप में बल्कि अत्यधिक
विकराल से रूप में
यादें कहाँ विदा हो पाती हैं कभी
अतल जा बैठे हैं विदा कब कुछ होता हैं
एक विचार,भाव भी विदा नही होता हैं
यादों की जड़े तो भीतर तक स्वयं को फैला चुकी हैं
कब अन्यत्र जाकर पनप सकती हैं बस वही
अपनी गहरी पैठ बनाये जमी रहती हैं
यादें कब धूमिल हो पाती हैं कब विदा ले पाती हैं
अतल जा बैठे हैं विदा कब कुछ होता हैं
एक विचार,भाव भी विदा नही होता हैं
डॉ मंजु सैनी
गाज़ियाबाद