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25 Aug 2023 · 1 min read

शिव का सरासन तोड़ रक्षक हैं बने श्रित मान की।

शिव का सरासन तोड़ रक्षक हैं बने श्रित मान की।
वरमाल शोभित है गले अरु संग में बधु जानकी।
सुख सार केवल राम ही मिथिलेश के निज धाम की।
जयकार हो जयकार ही, सुखधाम राघव राम की।।

सबरी निहारत पंथ नैनन आस लै सुख धाम की।
धर ध्यान केवल जाप में रत राम के बस नाम की।
दृग में बसे रघुनाथ पावन धाम है हर याम की।
रम राम में रम राम में उर वास हो बस राम की।।

✍️ संजीव शुक्ल ‘सचिन’

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