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30 Jan 2024 · 1 min read

‘बेटी बचाओ-बेटी पढाओ’

तू-तू ,मै-मै मे बंट गई नारी अस्मिता,अतुलित-अखन्ड!
पाषाड हो गई मानवता,राजनीति के जाए ये पाखन्ड!!
हर राजनीतिञ के घर भी मा,बहन और बेटी होती है!
पर आरोपो-प्रत्यारोपो तले भारतीय संस्कृति रोती है!!
मणिपुर,बंगाल हो ,या हो फिर राजस्थान की अबला!
है यछ प्रश्न संम्मुख कब हो पाएगी वो सशक्त-सबला?
‘बेटी बचाओ-बेटी पढाओ’, क्या केवल थोथे नारे है?
मनसा,वाचा,कर्मणा उनकी सुरछा जिम्मेदारी हमारे है?
प्रतिवर्ष अनेको बालाए विद्यालय जाने से क्यो वंचित?
रोमियो स्काड बनी, पर वहशी गुन्डो से धरा है संचित!!
पुलिस-प्रशासन .न्याय-व्यवस्था का भय कही नही है!
स्वतंत्रता अमृत महोत्सव वर्ष मे भी अंधेर सही नही है!!
उग्रवादियो की भीडतंत्र आगे, क्यो पुलिस नतमस्तक?
प्रशासन सैना आमंत्रित कर सबक सिखाते तब तक!!
थाने,कोर्ट,कचहरी, स्वतंत्र भारत निर्माता के उद्भवस्थल!
तब तक राजनीतिक दल, बने रहैगे गुन्डो के प्रश्रयस्थल!!

सर्वाधिकार सुरछित मौलिक रचना बोधिसत्व कस्तूरिया एडवोकेट,कवि,पत्रकार 202नीरव निकुज, सिकंदरा,आगरा-282007
मो:9412443093

Language: Hindi
65 Views
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